अयोध्या में विवादित ढांचा भूमि मामले का फैसला आने के साथ ही राममंदिर के प्रस्तावित मॉडल के अनुसार प्रथम तल की निर्माण सामग्री लगभग तैयार कर ली गई है। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने रविवार को कहा कि राम मंदिर का निर्माण शुरू करने से पहले का लगभग 65 फीसदी कार्य पूरा हो चुका है। जैसे ही मंदिर का निर्माण शुरू होगा वैसे ही दूसरे तल के लिए पत्थरों का तराशना शुरू हो जाएगा। राम मंदिर में प्रयोग होने वाले सभी पत्थर राजस्थान के भरतपुर से आए हैं। यह सैंड स्टोन हैं यानी की बलुआ पत्थर हैं। मंदिर के निर्माण में लोहे का बिल्कुल इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। एक बार काम शुरू होने के बाद ढाई से तीन साल में पूरा मंदिर तैयार हो जाएगा।
1990 से तराशे जा रहे पत्थर
उन्होंने बताया कि कार्यशाला की स्थापना 1990 में हुई थी तभी से मंदिर के लिए पत्थर तराशे जा रहे हैं। वर्ष 1855 से चल रहे अयोध्या विवाद मामले की भले ही सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई अब जाकर पूरी हुई हो, लेकिन अयोध्या में प्रस्तावित राम मंदिर का मॉडल 1889 में प्रयागराज कुंभ के दौरान ही देवरहा बाबा समेत देश के शीर्ष संतों के अनुमोदन पर तैयार कर लिया गया था। राम मंदिर मॉडल के चित्र को घर-घर तक पहुंचाने का कार्य किया गया, जिसके बाद शिला पूजन का कार्यक्रम कर अयोध्या में सितंबर 1990 में राम मंदिर कार्यशाला की स्थापना की गई और चंदन की लकड़ी से बने राम मंदिर के प्रस्तावित मॉडल को अयोध्या की इस कार्यशाला में रखा गया।
हर तल पर 106 खंभे और एक खंभे में 16 मूर्तियां
शर्मा ने बताया कि इसके बाद 1992 में राम मंदिर निर्माण के लिये इस कार्यशाला में पत्थरों को मंगाकर तराशने का कार्य शुरू कर दिया जो लगातार आज भी जारी है। प्रस्तावित राम मंदिर 265.5 फुट लंबा, 140 फुट चौड़ा और 128 फुट ऊंचा होगा, जिसके प्रथम तल पर सबसे पहले सिंहद्वार, रंगमंडप, नृत्य मंडप और फिर परिक्रमा के बाद गर्भगृह होगा, जबकि दूसरी मंजिल पर राम दरबार और उसके ऊपर शिखर होगा। उन्होंने बताया कि राम मंदिर के हर तल पर 106 खंभे और एक खंभे में 16 मूर्तियां होंगी।
राजस्थान के वंशी पहाड़पुर से आने वाले पिंक सैंड स्टोन पत्थर का प्रयोग
संपूर्ण राम मंदिर राजस्थान के वंशी पहाड़पुर से आने वाले पिंक सैंड स्टोन से बनाया गया है। मंदिर में एक लाख पचहत्तर हजार घन फुट पत्थर लगना है, जिसमें से एक लाख घन फिट से अधिक पत्थर को गुजरात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कारीगरों की ओर से तराशा जा चुका है। मंदिरों का भू-तल समेत करीब पैंसठ फीसदी कार्य पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के कुछ ही समय बाद ही रामजन्मभूमि का भूतल पूर्ण रूप से बनकर तैयार हो जाएगा।
पत्थर की आयु एक हजार वर्ष
विहिप के मीडिया प्रभारी ने बताया कि राम मंदिर में लगने वाले पत्थर की आयु एक हजार वर्ष है, जिसका प्रयोगशाला में परीक्षण भी किया जा चुका है। कई दशकों तक चले मुकदमे के बाद अब कुछ ही दिनों में देश-दुनिया के चर्चित मामले का फैसला आने वाला है। उन्होंने बताया कि अयोध्या से 1384 किलोमीटर दूर गुजरात के अहमदाबाद में रहने वाले चंद्रकांत भाई सोमपुरा ने राम मंदिर का डिजाइन तैयार किया था, जिसे श्रीरामजन्मभूमि न्यास के कार्यशाला में रखा गया है। इसका दूसरा मॉडल विश्व हिंदू परिषद मुख्यालय कारसेवकपुरम में भी रखा गया है।
पत्थरों की कीमत कई गुना बढ़ी
उन्होंने कहा ये भी कहा कि जब हमने मंदिर का मॉडल तैयार किया था, तब पत्थरों की कीमत आज के मुकाबले बहुत कम थी। तब पचास रुपए प्रति वर्ग फुट पत्थर मिलता था, लेकिन आज उसी पत्थर की कीमत पांच सौ रुपए प्रति वर्ग फुट हो गया है। जितना लंबा और चौड़ा पत्थर लेंगे उतनी ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी। फर्श में मार्बल लगेगा। प्लिंथ ग्रेनाइट पत्थर का बनाया जाएगा। ऐसी इच्छा विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष रहे दिवंगत अशोक सिंहल ने जाहिर की थी। पानी वगैरह से इन पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा।
40-50 करोड़ से ऊपर होगी निर्माण की लागत
मंदिर में आने वाले खर्च के बारे में उन्होंने कहा कि इसको तो चंद्रकांत भाई सोमपुरा बता सकते हैं, लेकिन फिटिंग वगैरह को ले करके मंदिर निर्माण में 40-50 करोड़ से ऊपर ही लगने का अनुमान है। मंदिर कैसे बनेगा इस पर उन्होंने बताया कि पहले फाउंडेशन का काम करना पड़ेगा, क्योंकि जो प्रस्तावित जगह है इसके पीछे खाई है और पूरी खाई चालिस-पचास फुट की है। उसको भरने में टाइम तो लगेगा ही। उन्होंने बताया कि छह से आठ महीने फाउंडेशन बनाने में ही लग जाएंगे यह काम कोई आसान नहीं है।
चंद्रकांत भाई के दादा ने बनाया था सोमनाथ मंदिर का डिजाइन
उन्होंने बताया कि मंदिर का मॉडल चंद्रकांत भाई सोमपुरा ने बनाया है और वह अभी तक सौ से ज्यादा मंदिर बना चुके हैं। लंदन पीट्सबर्ग में सर्व धर्म मंदिर, बैंकाक में विष्णु मंदिर और अमेरिका में जैन मंदिर बनाया है। सोमनाथ का मंदिर चंद्रकांत भाई सोमपुरा के दादा प्रभाशंकर जी सोमपुरा ने डिजाइन किया था और उन्हें पद्मश्री भी मिला था। उन्होंने बताया कि राम मंदिर का डिजाइन ही अलग है। सभी मंदिर करीब-करीब चौकोर होते हैं, लेकिन इसका गर्भगृह अष्टकोण है। इसकी परिक्रमा भी गोलाई में है जबकि बाकी मंदिरों में यह चौकोर होती है। यह मंदिर दो मंजिला होगा जिसमें भू-तल पर रामलला की मूर्ति होगी और ऊपर के तल पर राम दरबार होगा। उधर, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले ही अयोध्या पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की तादाद भी अचानक बढ़ गई है। देश के विभिन्न राज्यों से अयोध्या पहुंच रहे दर्शनार्थी रामजन्मभूमि और प्रसिद्ध हनुमानगढ़ी में दर्शन-पूजन तो कर ही रहे हैं साथ ही साथ राम मंदिर के लिए श्रीरामजन्मभूमि न्यास के कार्यशाला में तराशे जा रहे पत्थरों को देखने के लिये भी जा रहे हैं। मंदिर के लिए तराशे गए पत्थरों को देश के श्रद्धालु अब जल्द ही अयोध्या में राम मंदिर बन जाने की उम्मीद जताते नजर आ रहे हैं।
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