बजट: मिडिल क्लास के इस बार कितने पैसे बचेंगे, जानिए पाठशाला में

नई दिल्ली। भारत में एक फरवरी को बजट को लेकर बेसब्री से इंतजार रहता है। एक फरवरी को मोदी सरकार अंतरिम बजट पेश करेगी। इस अंतरिम बजट से गरीब को क्या मिलेगा, अमीर को क्या मिलेगा, मिडिल क्लास को क्या मिलेगा, सब की नजर इस पर है। मिडिल क्लास को लुभाने के लिए इस बार मोदी सरकार टैक्स स्लैब में बदलाव की बड़ी घोषणा कर सकती है।
माना जा रहा है कि टैक्स छूट की सीमा ढाई लाख से बढ़कर सीधे 5 लाख हो सकती है। अगर ऐसा हुआ तो एक आम आदमी को बड़ी राहत मिलेगी। नौकरीपेशा वालों का हर साल, हर महीने पैसा बचेगा।

आपकी सालाना इनकम 5 लाख रुपए तो आपको कितना फायदा हो सकता है…

  • अगर आपकी आय 5 लाख रुपये सालाना है तो और अगर सरकार इनकम टैक्स की लिमिट 5 लाख रुपये तक कर देती है तो आपको जीरो टैक्स देना होगा। अगर आपके फायदे की बात की जाए तो अभी आपको 5 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर अभी 13100 रुपये टैक्स देना होता है। यानि इस स्थिति में आपको सीधे सालाना 13100 रुपये की बचत होगी। हर महीने आपकी जेब में 1091 रुपये बचेंगे।
  • अगर आपकी आय 5 लाख रुपये सालाना है और अगर सरकार इनकम टैक्स छूट की सीमा 3.5 लाख रुपये तक कर देती है। इसके बाद अगले स्लैब में 3.5 लाख से 5 लाख रुपये की आय पर 5 फीसदी की दर से टैक्स लेती है तो आपको 7800 रुपये टैक्स देना होगा। यानि इस स्थिति में आपके सालाना 5300 रुपये बचेंगे। हर महीने आपकी जेब में 440 रुपये की बचत होगी।
    अगर उनकी बात करते हैं जिनकी सालाना इनकम 10 लाख रुपये है और सरकार इनकम टैक्स की लिमिट 5 लाख कर देती है तो आपको 78000 रुपये टैक्स देना होगा। अगर आपके फायदे की बात की जाए तो आपको सालाना 39000 रुपये का फायदा होगा यानि आपकी जेब में हर महीने 3250 रूपये बचेंगे।
  • अगर टैक्स स्लैब में बदलाव होते हैं तो आम आदमी को कितना फायदा होगा, लेकिन मिडिल क्लास को ये राहत देना सरकार के लिए इतना आसान भी नहीं होगा। सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी कि अगर टैक्स छूट सीमा बढ़ा भी दी गई तो टैक्स देने वालों की संख्या कम ना हो पाए। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स की एक रिपोर्ट कहती है कि पिछले चाल सालों में इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या 80 फीसदी बढ़ गई। वित्त वर्ष 2013-14 में कुल करदाता 3.79 करोड़ थे जो वित्त वर्ष 2017-18 में इनकी संख्या बढ़कर 6.85 करोड़ हो गई। सरकार अगर टैक्स छूट बढ़ाती है तो इस बात का ख्याल जरूर रखेगी कि टैक्सपेयर्स की संख्या में कोई कमी ना आए।

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