आजकल सोशल मीडिया नई-नई जानकारी पाने का जरिया बन गया है. लेकिन सोशल मीडिया पर दी जाने वाली जानकारी कितनी सही है, इसका पता लगाने की कोई जहमत नहीं उठाता. कई बार गलत और भ्रामक जानकारी सोशल मीडिया पर फैला दी जाती हैं. इसकी वजह से परेशानी खड़ी हो जाती है.
मध्य प्रदेश से एक ऐसा ही मामला सामने आया है. मध्य प्रदेश के सांवेर इलाके में कुछ दिनों पहले वॉट्सऐप्प पर एक मैसेज वायरल हुआ. इस मैसेज में मंदसौर के एक शख्स ने दावा किया था कि अगर कोई पानी में डूबकर मर जाए और उसका शरीर उसे 3 से 4 घंटे में मिल जाए, तो उसकी जिंदगी वापस लाई जा सकती है. इस दावे के साथ मैसेज में तीन मोबाइल नंबर भी दिए गए थे और जैसा कि इस तरह के हर संदेश में होता है, लोगों की जान बचाने के लिए मैसेज को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने की अपील की गई थी.
वायरल मैसेज में ये भी दावा किया गया था कि अगर किसी शख्स की पानी में डूबने से मौत हो जाती है और मौत के कुछ घंटों के भीतर उसके शव को 4-5 घंटे तक नमक में गाड़कर रखा जाता है तो उसकी सांस वापस लौट सकती है. मैसेज में इसके पीछे की वजह बताते हुए लिखा गया था कि दरअसल नमक शरीर के भीतर के सारे पानी को सोख लेता है, जिसके बाद मृतक की सांस वापस लौट आती है.
जिंदा करने के लिए नमक में गाड़ दिए गए दो भाइयों के शव
डूबने से हुई मौतों में नमक से सांस वापस लौटाने का दावा किया जा रहा था
वायरल मैसेज को सच मानकर ग्रामीणों को भरोसा था कि 4-5 घंटे में दोनों भाई जीवित हो जाएंगे. हालांकि ऐसा कुछ हुआ नहीं. उलटे 4-5 घंटे तक शव को नमक में रखने की वजह से डेड बॉडी खराब हो गई. ग्रामीणों ने बिना सोचे समझे एक गलत जानकारी को सच मान लिया.
राजस्थान के भीलवाड़ा इलाके से भी एक ऐसी ही खबर आई. भीलवाड़ा के कोठियां इलाके में खारी नदी में डूबकर एक किशोर की मौत हो गई. परिवार वाले उसे अस्पताल ले गए. अस्पताल वालों ने लड़के को मृत घोषित कर दिया. लेकिन परिवार वाले मानने को राजी नहीं.
वहां भी अंधविश्वास की चपेट में आकर बच्चे के शव को 5 घंटे तक नमक में दबाकर रखा गया. परिवारवालों को यकीन था कि बच्चे की सांस वापस लौट आएगी. हालांकि जब ऐसा नहीं हुआ तो हारकर परिवार वाले बच्चे का शव दफनाने को राजी हुए.
महाराष्ट्र के जलगांव में भी ऐसी घटना हुई. यहां भी पानी में डूबकर हुई मौत के बाद दो शवों को नमक के ढेर में दबाकर रखा गया.
डूबने के मामलों में नमक से कोई उपचार की विधि नहीं है
डूबने के मामलों में नमक से उपचार की कोई विधि नहीं
डॉक्टर ऐसे मामलों पर हैरानी जताते हैं. पानी में डूबकर हुई मौत के बाद शव को नमक में दबाने से सांसे वापस लौटने की कहानी कोरी बकवास है. असलियत तो ये है कि नमक एसिड बनाता है. इसलिए नमक के बॉडी के संपर्क में आने से बॉडी जल्दी गलने लगती है. शवों को दफनाने में नमक का इस्तेमाल होता है ताकि बॉडी जल्दी गल जाए. मृत जानवरों की बॉडी को जल्दी गलाने के लिए नमक का इस्तेमाल किया जाता है.
डूबने के मामलों में ज्यादातर मौतें फेफड़ों में पानी भर जाने की वजह से होती है. ऐसी स्थिति में डूबने के कुछ देर के भीतर फेफड़ों से पानी निकालने की कोशिश की जाती है. मुंह के जरिए कृत्रिम सांस देकर ऑक्सीजन दी जाती है. अगर डूबने के तुरंत बाद ऐसा किया जाए तो बहुत से मामलों में सांस वापस लौट सकती है. डॉक्टर सीपीआर करने की सलाह भी देते हैं. लेकिन नमक के भीतर गाड़ देने से सांस का वापस लौटना कोरी बकवास के सिवाय कुछ नहीं है.
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