मथुरा। चैत्र नवरात्रि 6 अप्रैल यानि आज से शुरु हो रही है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दुर्गा के पहले स्वरूप को ‘शैलपुत्री’ के नाम से जाना जाता हैं। इसी दिन से हिन्दू नववर्ष अर्थात नए संवत्सर की शुरुआत होती है। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री के रूप में उत्पन्न होने के कारण मां दुर्गा जी का नाम शैलपुत्री पड़ा। मां शैलपुत्री नंदी नाम के वृषभ पर सवार होती हैं और उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प होता है। मां शैलपुत्री के पूजन से जीवन में स्थिरता और दृढ़ता आती है। खासतौर पर महिलाओं को मां शैलपुत्री के पूजन से विशेष लाभ होता है। महिलाओं की पारिवारिक स्थिति, दांपत्य जीवन, कष्ट क्लेश और बीमारियां मां शैलपुत्री की कृपा से दूर होते हैं।
ऐसे करें मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना-
- नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री के विग्रह या चित्र को लकड़ी के पटरे पर लाल या सफेद वस्त्र बिछाकर स्थापित करें
- मां शैलपुत्री को सफेद वस्तु अति प्रिय है, इसलिए मां शैलपुत्री को सफेद वस्त्र या सफेद फूल अर्पण करें और सफेद बर्फी का भोग लगाएं
- मां शैलपुत्री की आराधना से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और कन्याओं को उत्तम वर मिलता है
- नवरात्रि के प्रथम दिन उपासना में साधक अपने मन को मूलाधार चक्र में स्थित करते हैं
- शैलपुत्री का पूजन करने से मूलाधार चक्र जागृत होता है और अनेक सिद्धियों की प्राप्ति होती है
- जीवन के समस्त कष्ट क्लेश और नकारात्मक शक्तियों के नाश के लिए एक पान के पत्ते पर लौंग सुपारी मिश्री रखकर मां शैलपुत्री को अर्पण करें
इन बातों का रखें ध्यान-
- घर के किसी भी कमरे में अंधेरा ना रखें.
- मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना में अशुद्ध वस्त्र पहन कर पूजा ना करें.
- अपनी बहन, बेटी, बुआ या किसी भी महिला का तिरस्कार न करें.
मां शैलपुत्री की विशेष अर्चना-
- एक साबुत पान के पत्ते पर 27 फूलदार लौंग रखें
- मां शैलपुत्री के सामने घी का दीपक जलाएं और एक सफेद आसन पर उत्तर दिशा में मुंह करके बैठें
- ॐ शैलपुत्रये नमः मंत्र का 108 बार जाप करें.
- जाप के बाद सारी लौंग को कलावे से बांधकर माला का स्वरूप दें
- अपने मन की इच्छा बोलते हुए यह लौंग की माला मां शैलपुत्री को दोनों हाथों से अर्पण करें
- ऐसा करने से आपको हर कार्य में सफलता मिलेगी पारिवारिक कलह हमेशा के लिए खत्म होंगे
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