आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ चंदा कोचर और एक्सिस बैंक की सीईओ शिखा शर्मा को देश उन सफल महिलाओं में शुमार करता है जिन्होंने बैंकिंग की दुनिया में शीर्ष तक पहुंचने का काम किया. लेकिन अब ये दोनों महिलाएं देश में खस्ता हाल बैंकिग व्यवस्था में उठे नए भूचाल के केन्द्र में हैं. दोनों पर बैंकिंग व्यवस्था का दुरुपोग करते हुए निजी आधार पर कर्ज देने का काम किया जिससे सिर्फ बैंक के एनपीए में इजाफा हुआ. दोनों बैंक प्रमुखों को कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के सीरियस फ्रॉड इंवेस्टिगेशन ऑफिस से हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी फ्रॉड मामले में तलब किया गया. इसके अलावा खास बात है कि दोनों की बैंक प्रमुख ने अपने करियर की शुरुआत आईसीआईसीआई बैंक से की है.
चंदा कोचर
सीबीआई ने चंदा कोचर के पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन के प्रमुख वेनुगोपाल धूत के बीच सांठगांठ की जांच शुरू की है. हालांकि मामले में चंदा कोचर की जांच नहीं की जा रही है. सीबीआई इस मामले में यह जानना चाह रही है कि क्या दीपक कोचर ने धूत से अपनी कंपनी नूपावर रिन्यूएबल्स के लिए करोड़ो रुपये लिए. आरोप के मुताबिक दीपक कोचर की कंपनी को यह पैसा धूत से आईसीआईसीआई बैंक से 2012 में वोडाफोन को दिए गए 3,250 करोड़ रुपये के कर्ज के बाद दिए गए.
गौरतलब है कि वीडियोकॉन को आईसीआईसीआई बैंक से यह कर्ज 20 बैंकों के समूह से दिए गए 40 हजार करोड़ रुपये के कर्ज का एक हिस्सा है. इस बैंक समूह का नेतृत्व स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने किया था. इस मामले में आईसीआईसीआई बैंक ने निदेशक मंडल की बैठक आयोजित करी है जो दिवाला और दिवालियापन संहिता के तहत मामलों की समीक्षा कर रही है. फिलहाल यह मामला नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के पास लंबित है तथा अन्य नियमित मामले हैं|
निजी बैंक ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में एक नियामकीय फाइलिंग में बताया था कि आईसीआईसीआई बैंक के निदेशक मंडल की बैठक में उन मामलों की समीक्षा की जाएगी नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के पास दिवाला और दिवालियापन संहिता के तहत भेजा गया है. हालांकि बैंक ने इसे नियमित बैठक कहा है और पिछले साल अप्रैल के पहले हफ्ते में भी निदेशक मंडल की यह बैठक हुई थी|
निदेशक मंडल की यह बैठक पिछले हफ्ते बैंक की मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक चंदा कोचर और वीडियोकॉन समूह के बीच ‘हितों के टकराव’ के कथित विवाद के बाद हो रही है. सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) ने इस मामले में आईसीआईसीआई बैंक की एमडी और सीईओ चंदा कोचर के पति दीपक कोचर के खिलाफ मामला दर्ज किया है और जांच चल रही है. लिहाजा, इस जांच में यदि ये आरोप सही पाए जाते हैं तो इससे चंदा कोचर की साख पूरी तरह मिट्टी में मिल जाएगी|
शिखा शर्मा
जुलाई 2017 में एक्सिस बैंक ने शिखा शर्मा को एक बार फिर तीन साल के लिए सीईओ नियुक्त किया था. उनका नया कार्यकाल जून 2018 से शुरू होने वाला है और यह उनका बतौर बैंक प्रमुख चौथा कार्यकाल होगा. लेकिन इस बीच रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने एक्सिस बैंक को बोर्ड से शिखा शर्मा की नियुक्ति पर एक बार फिर से विचार करने के लिए कहा है. आरबीआई ने सलाह दी है कि शिखा शर्मा को तीन साल के कार्यकाल की जगह महज एक साल का कार्यकाल दिया जाए. फिलहाल एक्सिस बैंक बोर्ड शिखा शर्मा के लिए एक साल के कार्यकाल पर विचार कर रही है.
रिजर्व बैंक की तरफ से यह अप्रत्याशित कदम एक्सिस बैंक की खराब परफोरमेंस और लगातार बिगड़ती एसेट क्वालिटी के चलते उठाया है. एक्सिस बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक शिखा शर्मा के एक साल के कार्यकाल के दौरान बोर्ड बैंक के लिए नए सीईओ की तलाश करेगा.
गौरतलब है कि शिखा शर्मा को एक्सिस बैंक ने 2009 में एमडी और सीईओ पद की जिम्मेदारी तब दी थी जब बैंक की चेयरमैन और सीईओ पीजे नायक ने अपने कार्यकाल के बीच में इस्तीफा दे दिया था. उस वक्त शिखा आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस के एमडी और सीईओ के पद पर थी.
एक्सिस बैंक की कमान संभालने के बाद शिखा शर्मा ने एक अग्रेसिव नीति अपनाई जिसका फायदा बैंक को पहुंचा. उनके कार्यकाल के दौरान एक्सिस बैंक ने अपने ग्राहकों और शेयर होल्डर्स को अच्छा रिटर्न भी दिया. लेकिन मौजूदा समय में जब देश के निजी और सरकारी बैंक गंदे कर्ज में डूबे हैं, एक्सिस बैंक का मुनाफा और एसेट क्वॉलिटी में लगातार गिरावट दर्ज हो रही है. आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक 2009 में जहां एक्सिस बैंक का एनपीए महज 1,173 करोड़ रुपये था वह 2017 तक बढ़कर 25,000 करोड़ के पार निकल गया.
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