नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के बीच चुनाव बाद गठबंधन को सत्ता हासिल करने के लिए मतदाताओं से की गई ‘धोखेबाजी’ घोषित करने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि शिवसेना के रुख में बदलाव मतदाताओं द्वारा NDA में जताए गए भरोसे के साथ विश्वासघात है. इस याचिका के अगले कुछ दिनों में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध होने की उम्मीद है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाली शिवसेना के रुख में बदलाव कुछ और नहीं, बल्कि मतदाताओं द्वारा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में जताए गए भरोसे के साथ विश्वासघात है.
महाराष्ट्र में मंगलवार को लगा दिया गया राष्ट्रपति शासन
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा केंद्र को भेजी गई उस रिपोर्ट के बाद महाराष्ट्र में मंगलवार को राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके द्वारा तमाम प्रयास करने के बावजूद राज्य में मौजूदा स्थिति को देखते हुए स्थिर सरकार का गठन असंभव है.
याचिका में केंद्र और राज्य को यह निर्देश देने की मांग की गई है
प्रमोद पंडित जोशी की तरफ से दायर जनहित याचिका में केंद्र और राज्य को यह निर्देश देने की भी मांग की गई है कि वे शिवसेना, कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन की तरफ से तय किए जाने वाले मुख्यमंत्री की नियुक्त करने से बचें.
अनैतिक है शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस का यह कृत्य
अधिवक्ता बरुन कुमार सिन्हा द्वारा दायर की गई याचिका में कहा गया, ‘शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस का यह कृत्य अनैतिक और सरकार बनाने के लिए दावे की संवैधानिक योजनाओं के विरोधाभासी हैं….’
सोनिया गांधी से मुलाकात कर सकते हैं शरद पवार
इसके साथ ही गुरुवार को यह संभावना जताई गई कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार 17 नवंबर को दिल्ली में मुलाकात कर महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर शिवसेना से गठबंधन के मुद्दे पर चर्चा कर सकते हैं. सूत्रों ने अनुसार, कांग्रेस और एनसीपी शिवसेना के साथ न्यूनतम साझा कार्यक्रम बनाने पर काम करेंगे, जिस पर सोनिया गांधी और शरद पवार की बैठक के दौरान चर्चा होगी.
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