टिहरी झील में मरीना फ्लोटिंग बोट के डूब जाने के मामले में जांच के लिए कोई समय सीमा तय नहीं की गई है। हालांकि इस मामले में फजीहत झेल रही सरकार जल्द से जल्द जांच को पूरा कराना चाहती है। इन स्थितियों के बीच, पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने डीएम टिहरी से जांच कमेटी में हाइड्रोलॉजी सर्वेयर को भी शामिल करने के लिए कहा है, ताकि इस मामले में तकनीकी और प्रशासनिक दोनों तरह की जांच अच्छे ढंग से हो सके।
टिहरी में मरीना फ्लोटिंग बोट के रख रखाव के अभाव में डूब जाने के मामले में पर्यटन विकास को लेकर बहस छिड़ी हुई है। कांग्रेस से लेकर भाजपा राज तक में पर्यटन की महत्वाकांक्षी योजनाओं में किस तरह खिलवाड़ होता है, इसका उदाहरण टिहरी में मरीना फ्लोटिंग बोट के मामले में सामने आया है।
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इस बोट में कुछ समय पहले त्रिवेंद्र सरकार की कैबिनेट बैठक आयोजित हुई थी। सूत्रों के अनुसार, हरीश रावत सरकार भी अपने कार्यकाल में टिहरी में मरीना फ्लोटिंग बोट पर कैबिनेट बैठक करना चाहती थी, लेकिन तकनीकी कमियों की बात सामने आने के कारण इस पर आगे नहीं बढ़ा गया था। मरीना फ्लोटिंग बोट प्रकरण में जांच के आदेश देते हुए सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लगे हाथों इस स्थिति के लिए पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहरा दिया है।
पलटवार करने में पूर्व सीएम हरीश रावत भी पीछे नहीं रहे हैं। सीएम ने पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर से इस मामले में जांच के लिए कहा है। पर्यटन सचिव ने जांच का जिम्मा टिहरी डीएम को सौंप दिया है। पर्यटन सचिव के अनुसार, हम इस मामले में निष्पक्ष तकनीकी और प्रशासनिक जांच चाहते हैं। इसलिए संबंधित पक्षों को लेकर कमेटी बनाई जा रही है। उन्होंने साफ किया कि जांच कमेटी को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए अभी कोई वक्त नहीं दिया गया है। जल्द से जल्द इस मामले में जांच करा ली जाएगी।
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