मुंबई: बुधवार को महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार ने अनलॉक 5 के लिए दिशानिर्देश किया, जिसमें उसने मंदिर और अन्य धार्मिक स्थल को बंद रखने का फैसला किया है। जिसके बाद प्रदेश के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को राज्य में मंदिर खोलने को लेकर पत्र लिखा। जिसके जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें गवर्नर से अपने हिंदुत्व का प्रमाण नहीं चाहिए। वहीं अब पार्टी ने अपने मुखपत्र सामना में राज्यपाल कोश्यारी पर सवाल खड़े किए हैं।
वो ये भूल गए हैं कि आज वे महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा है कि राज्यपाल के पद पर विराजमान व्यक्ति को किस प्रकार का बर्ताव करना चाहिए, यह भगत सिंह कोश्यारी ने साबित कर दिया। सामना में लिखा गया है कि राज्यपाल कोश्यारी ने आ बैल मुझे मार जैसा व्यवहार किया, लेकिन वो ये भूल गए कि यहां पर शेर है। आगे शिवसेना लिखती है कि श्रीमान कोश्यारी कभी संघ के प्रचारक या बीजेपी के नेता रहे होंगे, लेकिन वे इस बात को भूल गए हैं कि आज वे महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं।
राज्यपाल को इस आंदोलन में सहभागी होने की जरुरत नहीं थी
शिवसेना ने राज्यपाल पर निशाना कसते हुए कहा कि हर रोज सुबह महाराष्ट्र बीजेपी के नेता सरकार बदनामी करने की मुहिम शुरू कर देते हैं। लेकिन उस मुहिम का कीचड़ राज्यपाल कोश्यारी अपने ऊपर क्यों उड़वा लेते हैं। सामना में आगे लिखा गया कि महाराष्ट्र में भाजपा अपनी सत्ता गंवा चुकी है। यह एक बड़ी पीड़ा है, जो आगामी चार साल तक रहने ही वाली है। शिवसेना ने कहा कि भाजपा द्वारा महाराष्ट्र में मंदिर को खुलवाने के लिए आंदोलन शुरू किया गया है, लेकिन उस आंदोलन में राज्यपाल को सहभागी होने की जरुरत नहीं थी।
राज्यपाल ने मुख्यमंत्री से पूछे थे ये सवाल
पार्टी ने मुखपत्र में लिखा कि राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री ठाकरे को लिखा गया पत्र CM तक पहुंचने की यात्रा के दौरान ही अखबारों तक पहुंच गया। इसमें राज्यपाल द्वारा पूछा गया है कि महाराष्ट्र में बार व रेस्त्रां शुरू हो गए हैं, लेकिन धार्मिक स्थल बंद क्यों हैं। राज्यपाल ने सरकार से सवाल किया कि क्या आपको मंदिरों को बंद रखने के लिए कोई दैवीय संकेत मिल रहा है? या आप अचानक धर्मनिरपेक्ष हो गए हैं। वहीं मुख्यमंत्री द्वारा इस पत्र का कड़ा जवाब दिया गया है।
मुख्यमंत्री ठाकरे ने दिया कड़ा जवाब
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्यपाल के पत्र का सख्त जवाब देते हुए कहा कि आपने संविधान के अनुसार राज्यपाल पद की शपथ ली है। क्या आपको देश का संविधान व धर्मनिरपेक्षता स्वीकार नहीं है? आपको हमारे हिंदुत्व पर बोलने की जरुरत नहीं है। मेरे हिंदुत्ववाद को आपके प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है। सामना में लिखा गया है कि मुख्यमंत्री ठाकरे ने कड़ा जवाब देते हुए यह दिखा दिया है कि महाराष्ट्र का स्वाभिमान, अभिमान और तेवर क्या होता है?
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