बाल आयोग के निरीक्षण में खुलकर सामने आई लापरवाही
यूनिक समय, मथुरा। महानगर के सिविल लाइन्स स्थित राजकीय बाल शिशु सदन में दो बच्चों की मौत के बाद उत्तर प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग की 4 सदस्यीय टीम ने शिशु सदन के कमरों से लेकर परिसर तक का बारीकी के साथ निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान भारी खामियां मिली हैं। सुबह बच्चों को दिए जाने वाले दूध से लेकर उन्हें मिलने वाले भोजन की सामग्री तक शुद्ध नहीं थी। नहाने के साबुन और शरीर पोंछने के तौलिये के साथ उन्हें पहनाए जाने वाले कपड़े भी साफ सुथरे नहीं थे। सदन में गंदगी को देख आयोग की टीम ने नाराजगी जताई है।
रविवार की दोपहर उत्तर प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग की चार सदस्यीय टीम सदन का निरीक्षण करने पहुंची। बच्चों को दुर्गंधयुक्त बोतल से दूध पिलाया जा रहा था, दूध का पैकेट और बिस्कुट खुले मिले। अलमारी में कपड़े भी सही नहीं थे। बच्चों को एक्सपायरी पाउडर लगाया जा रहा था।
सदन संचालिका को लगाई डांट
निरीक्षण के दौरान आयोग के अध्यक्ष डॉ. विशेष कुमार गुप्ता को सदन के आंगन में एक बच्चा खुले में शौच करता मिला। इस पर उन्होंने डीपीओ अनुराग श्याम रस्तोगी और सदन संचालिका को डांट लगाई। इसके साथ सदन की सीवर व्यवस्था चोक और गंदगी मिलने पर नाराजगी जताई।
उन्होंने कहा कि इस माहौल में बच्चे बीमार ही होंगे। निरीक्षण में पता लगा कि सभी बच्चों के लिए एक ही साबुन और एक तौलिया का प्रयोग किया जा रहा है। इसके बाद भोजन सामग्री की जांच की गई। आयोग की सदस्याओं नीता साहू, सुचिता चतुर्वेदी और जया सिंह ने बच्चों को मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता की जांच की गई।
शोर सुनकर भी नहीं उठे बच्चे
आयोग की टीम के साथ लगभग 10 से 12 लोगों की मौजूदगी के बाद भी जब बच्चों की नींद नहीं टूटी तो आयोग के सदस्यों को शक हुआ। उन्होंने बच्चों को हिलाकर उठाने का प्रयास किया। इसके बाद भी अधिकांश बच्चे बेहोशी की माफिक सोते रहे।
एक बच्चा उठा भी तो वो बेसुध होकर रोने लगा। टीम की सदस्याओं ने बच्चों के इस प्रकार गहरी नींद में सोने पर शक जाहिर करते हुए उनके शरीर पर लगाए गए पाउडर को जांच के लिए सुरक्षित रख लिया है। राजकीय शिशु सदन में बच्चों को बने मेन्यू के हिसाब से भोजन नहीं दिया जा रहा था। बच्चों को रविवार की सुबह 8 बजे बेसन के ब्रेड पकोड़े के साथ शाम को मीट देने का प्रावधान है। लेकिन आज बच्चों को चाय के साथ टोस्ट दिए गए। कुक ने बताया कि बेसन में कीड़े पड़ जाने के कारण दो दिन पूर्व ही बेसन को फेंका गया था।
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