नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की पिछले महीने मुलाकात हुई थी। इस मुलाकात को अभी एक महीने भी नहीं हुए हैं, लेकिन अरुणाचल सीमा पर चीन की गतिविधियों से एक बार फिर से तनाव बढ़ सकता है। अरुणाचल प्रदेश से लगने वाली भारतीय सीमा के नजदीक चीन अपने क्षेत्र में बड़े पैमाने पर खनन कार्य कर रहा है। जानकारी के मुताबिक वहां पर चीन को सोने, चांदी और अन्य कीमती धातुओं के भंडार मिले हैं। इनकी कीमत 60 अरब डॉलर (चार लाख करोड़ रुपये) हो सकती है। हांगकांग के साउथ चाइना मॉर्निग पोस्ट के अनुसार खनन का कार्य चीन के नियंत्रण वाले लुंज काउंटी में चल रहा है। यह इलाका भारतीय सीमा के नजदीक है। गौरतलब है कि चीन अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा जताता है। चीन कहता है कि अरुणाचल प्रदेश दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है। रिपोर्ट के अनुसार खनन के अभियान के जरिये चीन अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा मजबूत कर रहा है। इलाके की प्राकृतिक संपदा के दोहन के लिए वह यहां पर आधारभूत ढांचा तैयार कर रहा है जो बाद में सैन्य उपयोग के लिए सहायक साबित हो सकता है। यहां का मामला दक्षिण चीन सागर जैसा हो सकता है। जहां चीन ने पहले आधारभूत ढांचा तैयार किया, कृत्रिम द्वीप बनाए और इसके बाद वहां सेना तैनात कर सागर पर अपना दावा ठोंक दिया।
दक्षिण चीन सागर के नीचे भी तेल और गैस के बड़े भंडार हैं। चीन जिस इलाके में खनन कार्य कर रहा है, वह दुनिया के सबसे ऊंचे इलाकों में से एक है। वहां प्राकृतिक चुनौतियां बेहद जटिल हैं। वहां पहुंचना जितना मुश्किल है, उससे ज्यादा मुश्किल वहां टिके रहना है। अरुणाचल सीमा पर यह स्थिति राष्ट्रपति शी चिनफिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अनौपचारिक मुलाकात के कुछ ही हफ्तों के बाद बनी है। इस मुलाकात में दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने पर सहमति बनी थी। 2017 में डोकलाम में 73 दिनों तक दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने डटी रही थीं और युद्ध की तैयारी जैसे हालात बन गए थे। यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब कुछ हफ्ते पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वुहान शहर में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से अनौपचारिक बैठक की। इस मुलाकात का मकसद डोकलाम सैन्य गतिरोध के बाद दोनों देशों में पैदा हुए तनाव को कम करना बताया गया था। हालांकि चीन के इस कदम से तनाव एक बार फिर बढ़ सकता है।
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