मुंबई. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे उनके बेटे आदित्य ठाकरे और एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। तीनों पर चुनावी हलफनामे में गलत या अधूरी जानकारी देने का आरोप लगा है। मामले की गंभीरता को देखते हुए चुनाव आयोग ने इसकी जांच सीबीडीटी को सौंप दी है।
तीनों ने नेताओं ने दी है यह गलत जानकारी
दरअसल, वर्तमान में महाराष्ट्र सरकार की सरकार और उनकी सहयोगी पार्टी एनसीपी के नेताओं के बारें में जानकारी देते हुए शिकायतकर्ताओं ने कुछ दस्तावेज चुनाव आयोग को सौंपे हैं, जिसमें पता चला है कि इन नेताओं ने चुनावी हलफनामे में अपनी संपत्ति और देनदारी की अधूरी जान जानकारी दी है। जिसके चलते तीनों नेताओं को जांच का सामना करना पड़ सकता है। चुनाव आयोग ने इन दस्तावेजों को देखने के बाद जांच के लिए सीबीडीटी के पास भेज दिए हैं।
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इस तरह हो सकती है 6 महीने की जेल: बता दें कि हलफनामे में लिखी संपत्ति और देनदारी की जानकारी सीबीडीटी वेरिफाइ करेगा। जिसका इंतजार चुनाव आयोग कर रहा है, अगर शिकायतकर्ताओं के द्वारा दी जानकारी सही पाई जाती है तो तीनों नेताओं को पीपल ऐक्ट की धारा 125 ए के तहत मुकदमा दर्ज हो सकता है। इसके अलावा उनको 6 महीने की जेल या जुर्माना हो सकता है।
चुनावी हलफनामे में देनी होती है यह जानकारी
लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव में खड़े होने वाले उम्मीदवार को चुनाव आयोग के सामने अपनी सभी तरह की जानकारी देनी होती। इसमें आपराधिक मामले, चल-अजल संपत्ति, देनदारी-लेनदारी और अपनी शैक्षिक योग्यता का ब्योरा देना होता है। वहीं साल 2013 में चुनाव आयोग ने तय किया था कि हर उम्मीदवार की ओर से दी गई लिखित जानकारी की जांच सीबीडीटी करेगा। अगर उनके द्वारा जानकारी गलत मिलती है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
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