सीएम योगी आदित्यनाथ की सरकार ने लगाई अफसरों की यात्रा पर ब्रेक, जानिए क्या है पूरा मामला

लखनऊ । सूबे में कोरोना वायरस के संक्रमण से हर स्तर पर निपटने में योगी आदित्यनाथ सरकार ने खजाना खोल दिया है। अब सरकार अपने खजाने को फिर से सहेजने में मंत्री तथा विधायकों के खर्च में कटौती करने के बाद सरकारी अफसरों की यात्राओं पर भी लगाम लगाएगी। जिससे कि तेजी से खाली होते खजाने को स्थिर कर सके।

प्रदेश सरकार खर्च के बाद भी खजाने की सेहत को लेकर सरकार फिक्रमंद है। बीते दो-तीन महीने से बढ़ते खर्चे और घटती कमाई के मद्देनजर अपने सभी गैर जरूरी अनावश्यक खर्चों में कटौती करने के साथ ही सरकार जरूरी खर्चों को भी कम करने या फिर उन्हें टालने की संभावनाओं पर गंभीरता से मंथन कर रही है। वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए हाल ही में कई अहम फैसले करने के बाद सरकार अब अधिकारियों-कर्मचारियों आदि की विभिन्न यात्राएं व प्रशिक्षण, सामान्य तबादले आदि पर रोक लगा सकती है। रोक लगाए जाने की दशा में 900 करोड़ रुपये से अधिक की बचत होने का अनुमान है। इतना ही नहीं, कोरोना के मद्देनजर स्थिति और बिगडऩे की दशा में वेतन वृद्धि भी स्थगित की जा सकती है

कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन से राज्य सरकार को फिलहाल दस हजार करोड़ रुपये से अधिक की चोट लगती दिख रही है। चूंकि कोविड-19 से बचाव व राहत पर लगातार खर्च भी बढ़ता जा रहा है, इसलिए सरकार हाल ही में एक वर्ष के लिए विधायक निधि निलंबित करने के साथ ही मंत्रियों-विधायकों के वेतन से 30 फीसद की कटौती, राज्यकर्मियों के डीए को डेढ़ वर्ष तक यथावत रखने सहित छह अन्य भत्ते स्थगित करने जैसे फैसले कर चुकी है। इतने भर से वित्तीय सेहत सुधरने वाली नहीं है इसलिए खर्चों में कटौती संबंधी कई और फैसले भी जल्द सरकार ले सकती है। चूंकि हाल-फिलहाल शारीरिक दूरी के चलते वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही ज्यादातर बैठकें होनी हैं, इसलिए अपरिहार्य परिस्थितियों को छोड़कर सरकार अधिकारियों-कर्मचारियों की सरकारी यात्राओं पर रोक लगाकर 600 करोड़ रुपये से अधिक बचा सकती है। बजट में यात्रा व्यय के लिए 672.28 करोड़ रुपये की व्यवस्था है। इसी तरह प्रशिक्षण आदि की यात्राओं पर अंकुश लगाकर 181.68 करोड़ रुपये बचाए जा सकते हैं।

तबादला सत्र भी शून्य

सरकार जरूरी स्थानांतरणों को छोड़ तबादला सत्र भी शून्य कर 57 करोड़ रुपये बचाने की जुगत में है। वैसे तो राज्य सरकार ने अभी कोई फैसला नहीं किया है, लेकिन कोरोना से स्थिति गंभीर होने पर अगर केंद्र ने पहल की तो पहली जुलाई से होने वाली तीन फीसद की वेतन वृद्धि पर भी यहां रोक लगाई जा सकती है। इससे भी लगभग डेढ़ हजार करोड़ रुपये बचने का अनुमान है।

नया फर्नीचर खरीदने पर भी लगेगी रोक

चालू वित्तीय वर्ष 2020-21 के बजट में कार्यालय फर्नीचर व उपकरण आदि के लिए 130.32 करोड़ रुपये की व्यवस्था है। इसी तरह से नई गाडिय़ों को खरीदने के लिए भी 8.44 करोड़ है। सूत्रों का कहना है कि सरकार फिलहाल इस तरह के खर्चों पर भी रोक लगाएगी।

अतिरिक्त वित्तीय संसाधन आवश्यक

प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने बताया कि कोविड-19 समस्या के कारण राजस्व में भारी कमी आई है, जबकि इसकी रोकथाम के लिए अतिरिक्त वित्तीय संसाधन आवश्यक हैं। वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए सरकार ने हाल ही में कुछ अहम फैसले किए हैैं। परिस्थितियों को देखते हुए अनावश्यक खर्चों पर अंकुश लगाने के साथ ही और भी जो कुछ करने की जरूरत होगी, उसे किया जाएगा।

 

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*