राजनीतिक पंडितों के लिए मुश्किल बना रही कांग्रेस, श्रावस्ती लोकसभा सीट पर रोचक मुकाबला

यूं तो श्रावस्ती लोकसभा क्षेत्र में मतदाताओं का रुझान जानना कठिन नहीं है, पर कांग्रेस अंतिम परिणाम के लिहाज से गुणा-भाग को थोड़ा मुश्किल बना रही है। यहां आमने-सामने की लड़ाई में भाजपा और सपा-बसपा गठबंधन है। दोनों जहां अपने-अपने आधार वोट में मजबूती से लड़ रहे हैं, वहीं कुछ हद तक एक-दूसरे के आधार वोट में सेंध लगाने की कोशिश में भी हैं। स्थानीय राजनीतिक जानकार भी मानते हैं कि कांग्रेस ने लड़ाई को कठिन बना दिया है। इसलिए जीत-हार का अंतर ज्यादा नहीं रहेगा।

भाजपा से मौजूदा सांसद दद्दन मिश्रा फिर से मैदान में है। गठबंधन से यह सीट बसपा के खाते में है। राम शिरोमणि वर्मा गठबंधन के प्रत्याशी हैं। कांग्रेस ने बलरामपुर सदर से विधायक रह चुके धीरेंद्र प्रताप सिंह पर दांव लगाया है। श्रावस्ती लोकसभा सीट परिसीमन के बाद पहली बार वर्ष 2009 में वजूद में आई। उससे पहले इसे बलरामपुर लोकसभा क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। श्रावस्ती सीट के तहत श्रावस्ती जिले के दो विधानसभा क्षेत्र और बलरामपुर जिले के तीन विधानसभा क्षेत्र हैं। जातिगत आधार पर देखें तो अभी तक इस सीट पर सामान्य वर्ग में ब्राह्मण व ठाकुर, अनुसूचित जाति में गौतम, अन्य पिछड़ा वर्ग में कुर्मी व यादव और मुस्लिम मतदाता ही निर्णायक माने जाते रहे हैं। लेकिन, पहली बार वर्ष 2009 के चुनाव में वैश्य, कहार, मौर्य, कलवार, सुनार और लोनिया जैसी अपेक्षाकृत कम संख्या बल वाली जातियों के मतदाताओं ने भी एकमुश्त भाजपा के पक्ष में जाकर अपनी ताकत का अहसास करा दिया। यही वजह है कि इस बार श्रावस्ती में कोई प्रमुख दल कम संख्या बल वाली इन जातियों को अपनी ओर करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहा है।

हमारे यहां तो गठबंधन का जोर
श्रावस्ती के जिला मुख्यालय भिनगा से इकौना की तरफ बढ़े तो कोई 7-8 किलोमीटर के फासले पर गोड़पुरवा गांव पड़ता है। यादव बहुल इस मजरे में गठबंधन प्रत्याशी का जोर है। गांव के रमेश यादव सवाल करते हैं कि क्या मैं आवास का हकदार नहीं हूं। जब योजनाओं का लाभ जाति देखकर दिया जा रहा है, तो हम भी इस वक्त गठबंधन के साथ हैं। युवा रामकुमार यादव भी उनकी हां में हां मिलाते हैं। कहते हैं कि पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने भी विकास के कम काम नहीं कराए।

लोकतंत्र की ताकत, सबके अपने-अपने तर्क
सेमरी चौराहे पर (भिनगा विधानसभा क्षेत्र) दिलचस्प राजनीतिक बहस छिड़ी हुई थी। इसके चलते यहां लोकतंत्र में सहमति व असहमति की ताकत भी महसूस हुई। विजय शुक्ला कहते हैं कि सामान्य वर्ग में तो भाजपा ही दिख रही है। अंगद प्रसाद शुक्ला कहते हैं कि मोदी का वोटर अभी चुपचाप घर में बैठा है। यहां चौराहों पर बहस-मुबाहिसे में हिस्सा लेने नहीं आता। घर-घर जाओ तो पता चल जाएगा कि मोदी ने कितना काम कराया है। अजय प्रताप सिंह और विकास सिंह मानते हैं कि काम तो हुआ है, पर पुलिस के परेशान करने पर अपनी जाति का नेता ही साथ निभाता है। युवा जुबैर राइनी कहते हैं कि गठबंधन ही आगे रहेगा।

पानी वाली जातियां तो भाजपा के साथ
इटवरिया (श्रावस्ती विधानसभा क्षेत्र) के मामा पांडे चौराहे पर हरिश्चंद्र मिश्रा कहते हैं कि अधिकांश पानी वाली जातियां भाजपा के साथ हैं। संवाददाता के पूछने पर मिश्रा ने बताया कि जिन जातियों के हाथ का पानी सदैव से सभी पीते रहे हैं, उन्हें ही पानी वाली जातियां कहते हैं। मसलन, ब्राह्मण, कहार, मौर्य, बनिया, कलवार, सुनार और लोनिया आदि। सरजू प्रसाद गौतम और प्रमोद यादव कहते हैं कि हम किसी को भी वोट दें, लेकिन माना यही जाएगा कि गठबंधन को दिया है। इसलिए गठबंधन की तरफ ही जाने का फैसला किया है।

सभी धर्मों को साथ लेकर चलने वाले के साथ
खावा पोखर गांव में मो. खुर्शीद खां और मो. मुजीम खां कहते हैं- गठबंधन ही देश में सभी धर्मों के लोगों को साथ लेकर चल सकता है। बलरामपुर सदर विधानसभा क्षेत्र के घूघुलपुर गांव के पदुमनाथ जायसवाल, राजेंद्र प्रसाद चौहान, चेतराम वर्मा, अम्बिका प्रसाद विश्वकर्मा भाजपा के कामों की प्रशंसा करते हैं। पदुमनाथ जायसवाल कहते हैं कि बलरामपुर शहर समेत कई इलाकों में कांग्रेस प्रत्याशी धीरेंद्र सिंह को लोकल होने का फायदा मिल रहा है।

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