कोरोना: बृहस्पति व शुक्र के 14 मई को वक्री होते ही दूर होेंगे अनिष्ट

नवग्रहों में बृहस्पति को गुरु का दर्जा, लेकिन अभी यह शनि के स्वामित्व वाली राशि में है, इसलिए इसके प्रभाव में थोड़ी क्षीणता
यूनिक समय, मथुरा। नवग्रहों में बृहस्पति को गुरु का दर्जा प्राप्त है। वर्तमान में यह ग्रह शनि के स्वामित्व वाली राशि में है। इस कारण गुरु के प्रभाव में थोड़ी क्षीणता आने के कारण ही देश-विदेश में कई अनिष्टकारी स्थितियां उत्पन्न हुई हैं। ज्योतिषियों के मुताबिक वर्तमान में बृहस्पति मकर राशि में हैं, जो शनि के स्वामित्व वाली राशि है। इस राशि में गुरु का प्रभाव कम होने की वजह यह है कि शनि अपनी स्वराशि और मंगल अपनी उच्च राशि में है। आगामी 14 मई से गुरु इसी राशि में वक्री होंगे। शुक्र ग्रह भी इसी दिन वृषभ राशि में वक्री होंगे। दोनों ग्रहों के एक ही दिन वक्री होने के साथ ही अनिष्टों में कमी आना शुरू हो जाएगी। बृहस्पति 29 जून को धनु राशि में प्रवेश करेंगे।
गुरु के लगातार दो बार वक्री होने के कारण देश-विदेश में संक्रमण संबंधी रोगों से निजात मिलना शुरु हो जाएगी। ज्योतिषाचार्य पं. अजय कुमार तैलंग का कहना है कि शुक्र 14 मई को वक्री स्थिति में वृषभ राशि में वापस पहुंचेंगे। इस राशि में शुक्र के रहने पर लोगों की सुख-समृद्धि में इजाफा होगा।

6 मई तक प्रभावी रहेगा प्रमादी संवत्सर, इसके बाद नाम हो जाएगा आनंद संवत्सर
25 मार्च से प्रारंभ हुए नव संवत्सर 2077 का नाम प्रमादी है, लेकिन ये केवल 6 मई तक ही प्रभावी रहेगा और इसके बाद संवत्सर का नाम आनंद हो जाएगा। पंडितों का मत है कि प्रमादी का अर्थ दु:ख और अवसाद होता है, जिसका असर महामारी के कारण मार्च से ही दिख रहा है। ज्योतिषी के अनुसार संवत्सर के 60 चक्रों में यह 47वां संवत्सर है। आगामी 6 मई से इसका नाम आनंद हो जाएगा। सौर व चंद्र वर्ष की गणना के चक्र के चलते दिनों के घटने-बढ़ने पर ऐसा परिवर्तन होता है। आनंद संवत्सर के भी राजा बुध व मंत्री चंद्रमा ही रहेंगे।

राशियों पर इसका प्रभाव
इन ग्रहों के वक्री होने पर मिथुन, तुला व कुंभ राशि वाले लोगों की परेशानियां कम होंगी। मेष, वृषभ, कर्क राशि के लोगों को स्वास्थ्य लाभ मिलेगा। सिंह, कन्या व मीन राशि वालों को तनाव रहेगा, लेकिन आर्थिक लाभ भी होगा।

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