कोरोना वायरस ने दी एक नई टेंशन, फेफड़ों की फरत कर देता है कमजोर और हो जाता है छेद

नई दिल्ली। दुनियाभर में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है. कोरोना वायरस से होने वाले प्रभाव को लेकर विशेषज्ञ हर दिन नई जानकारी दे रहे हैं। डॉक्टरों के मुताबिक कोरोना वायरस से इंसान में न्यूमोथोरैक्स की दिक्कत हो रही हैं। आसान भाषा में समझा जाए तो कोरोना वायरस के कारण मरीज के फेफड़े (lung) इतने कमजोर हो जा रहे हैं कि उनमें छेद हो जा रहा है। वैज्ञानिकों ने कहा कि हम इस बात को लेकर इसलिए ज्यादा चिंतित हैं क्योंकि इसका अभी तक कोई इलाज नहीं मिल सका है।

कोरोना वायरस की वजह से फेफड़ों में फाइब्रोसिस हो रहा है। इसका मतलब है कि हवा वाली जगह पर म्यूकस का जाल बन रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक जब फाइब्रोसिस की संख्या बढ़ जाती है तो न्यूमोथोरैक्स यानी फेफड़े में छेद हो जाता हैं डॉक्टरों ने बताया कि गुजरात में कोरोना से संक्रमित कुछ मरीजों में इस तरह की दिक्कत देखने को मिली है। ये सभी मरीज 3 से 4 महीने पहले कोरोना से ठीक हुए थे लेकिन इनके फेफड़ों में फाइब्रोसिस की शिकायत मिली है।

इन मरीजों को सीने में तेज दर्द औऱ सांस लेने में दिक्कत होने की वजह से अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है। प्राइवेट अस्पताल में इलाज करा रहे मरीजों के डॉक्टरों ने बताया कि कोरोना की वजह से हुए फाइब्रोसिस जब फट जाते हैं तो फेफड़ों में न्यूमोथोरैक्स शुरू हो जाता है। डॉक्टरों के मुताबिक न्यूमोथोरैक्स में फेफड़े के चारों तरफ की बाहरी दीवार और अंदरूनी परतें इतनी कमजोर हो जाती हैं कि उनमें हीलिंग की क्षमता कम हो जाती है। डॉक्टरों के मुताबिक फेफड़े इतने कमजोर हो जाते हैं कि उनमें छेद हो जाता है।

मरीज को किस तरह की होती है दिक्कत
न्यूमोथोरैक्स के मरीजों को सीने में तेज दर्द, सांस लेने में दिक्कत, सीने में जकड़न और अपच की शिकायत होती है। फाइब्रोसिस के कारण फेफड़े की नई लेयर इतनी पतली और कमजोर हो जाती है कि हीलिंग के दौरान फट जाती हैं। कई बार इस पर सही समय पर अगर काबू न पाया जाए तो मरीज की मौत भी हो जाती है।

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