खतरे की घंटी: खतरे में योगी की कुर्सी, 200 विधायकों के पीछे इस मंत्री का हाथ

उत्तर प्रदेश में तीन साल पूरे करने जा रही बीजेपी सरकार में अब अपने ही विधायकों को संभालना मुश्किल हो गया। विधायकों की नाराजगी है कि अपनी ही सरकार में अधिकारी उनकी बात सुनना तो दूर बल्कि अपमानित करने पर आमादा है।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में तीन साल पूरे करने जा रही बीजेपी सरकार में अब अपने ही विधायकों को संभालना मुश्किल हो गया। विधायकों की नाराजगी है कि अपनी ही सरकार में अधिकारी उनकी बात सुनना तो दूर बल्कि अपमानित करने पर आमादा है।

मंगलवार को विधानसभा में एक तरफ बीजेपी सरकार भ्रष्टाचार और सुरक्षा के मुद्दे पर सरकार की उपलब्धियां गिना रही थी, वहीं दूसरी तरफ बीजेपी विधायक नंद किशोर गुर्जर अपनी सरकार से खुद ही सवाल कर रहे थे कि आखिर उन्हें पुलिस और प्रशासन की तरफ से प्रताड़ित क्यों किया जा रहा है।

लोनी से विधायक नंद किशोर गुर्जर विधानसभा में अपनी आवाज उठाने में नाकामयाब रहे, जिसके बाद वो सदन में ही धरने पर बैठ गए। जिसके बाद उनका साथ देने के लिए बीजेपी के करीब 200 विधायक आगे आए और वो भी धऱने पर उनके साथ बैठ गए। फिर शाम 6 बजे के बाद उन्हें न्याय का भरोसा देकर वहां से उठाया गया। आपको बता दें कि, विधानसभा के इतिहास में यह पहला मौका था जिसमें कोई सदस्य अपनी ही सरकार के खिलाफ खड़ा हो गया हो।

क्या है मामला

दरअसल बीजेपी विधायक प्रदेश में आलाधिकारियों के रवैये से बेहद नाराज है और वह इसे लेकर अपनी बात सदन को बताना चाहते थें लेकिन जब पीठ से उन्हे इसकी अनुमति नहीं मिली और संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने उनकी बात को अनसुना कर दिया, तब विधायक नंद किशोर गुर्जर के समर्थन में बीजेपी के कई अन्य विधायक आ गए। इन सब विधायकों को भी यही शिकायत है। इन नाराज सभी विधायकों का कहना था कि अफसरों की तानाशाही बढती ही जा रही है।

विधायक नंद किशोर गुर्जर ने ये भी आरोप लगाया है कि जब इस बारे में उन्होंने विधानसभा में अपनी बात रखने की कोशिश की तो उन्हें बोलने नहीं दिया गया। विधायक के मुताबिक, इलाके के अधिकारी पूरी तरह से भ्रष्टाचार में डूब चुके हैं और वो खुलेआम कहते हैं कि सपा और बसपा की सरकारों में सरकारी कामों में 24 प्रतिशत का कमीशन चलता था। अब ये कमीशन 18 प्रतिशत हो गया है। बता दें कि, नंद किशोर ने ये बातें बुधवार को सदन में भी कही थी।

सीएम योगी के लिए खतरे की घंटी

विधायक ने जो भी आरोप लगाए हैं वो बहुत गंभीर हैं और साथ ही सरकार की भ्रष्टाचार पर ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति पर एक धब्बा भी है। साथ ही विधायक के समर्थन में आगे आए 200 विधायक के धरने पर बैठने के बाद ये बेहद ही गंभीर इशारा देता है। 200 विधायकों के धरने पर बैठने से कई सवाल खड़े होते हैं, साथ ही ये सीएम योगी के लिए खतरे की घंटी है। वहीं विपक्ष को इस मामले में किसी बड़ी योजना की बू आ रही है।

सरकार के अंदर खींचतान का नतीजा- अजय कुमार

बता दें कि विपक्ष ने सत्ता पक्ष की इस कमजोरी का लाभ उठाकर सत्ता पक्ष के इन विधायकों का साथ दिया। इस पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू का कहना है कि, ये सरकार के अंदर खींचतान का नतीजा है। उन्होंने कहा कि, योगी सरकार भ्रष्टाचार, महिलाओं की सुरक्षा समेत कई अहम मुद्दों पर फेल हुई है। जिस पर अब उनके नेता खुलकर आवाज उठा रहे हैं। यहीं नहीं अजय कुमार लल्लू ने इस माहौल में नैतिक आधार पर सीएम योगी के इस्तीफे की मांग भी कर दी।

ये बगावत के सुर हैं- राम गोविंद चौधरी

वहीं सपा के वरिष्ठ नेता राम गोविंद चौधरी ने 200 विधायकों के धरना पर बैठने को बगावत के सुर बताए हैं। उन्होंने कहा कि, ये बगावत के सुर हैं जो इस बात की ओर इशारा करते हैं कि बीजेपी के अधिकांश विधायक योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री के रुप में नहीं देखना चाहते हैं।

सपा के वरिष्ठ नेता ने आगे कहा कि, विधायकों का उनके खिलाफ बैठने का मतलब है कि सरकार अल्पमत हो गई है। ये पूरी तरह से सीएम योगी के खिलाफ एक और कदम आगे बढ़ाने का मामला है, जिसका असर आने वाले दिनों में दिखेगा।

किसकी है प्लानिंग

अब सवाल ये है कि, अगर ये विधायक विधानसभा में किसी प्लानिंग के तहत धरने पर बैठे थे तो इसके पीछे किसकी प्लानिंग हो सकती है? बीजेपी के अंदर ऐसा कौन है जो योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री के तौर पर देखना नहीं चाहता। कहीं ये सीएम योगी और सरकार के एक ताकतवर मंत्री के बीच की तनातनी का अगला कदम तो नहीं?

हालांकि सरकार से संबंधित जानकार बताते हैं कि सरकार के अंदर सब कुछ ठीक है। जानकार के मुताबिक, अधिकांश विधायकों में उनकी बात ना सुने जाने को लेकर नाराजगी है। लेकिन कहीं विधायकों की ये नाराजगी तख्तापलट की ओर तो इशारा नहीं कर रही? वहीं चल रहे कयासों के बीच सीएम योगी ने धरने पर बैठे और नाराज विधायकों को मिलने के लिए बुलाया है।

CM योगी विधायकों को मिलने के लिए बुलाया

सीएम योगी ने जिन विधायकों को मिलने बुलाया है उन्हें से एक हर्ष वाजपेई का कहना है कि, हम सब नंद किशोर गुर्जर के समर्थन में हैं। लेकिन ये बगावत नहीं है। उन्होंने कहा कि, हमारी सरकार में हमें कम से कम अपनी बात रखने का मौका मिला। जब उनसे पूछा गया कि जब सरकार आपकी बात सुनती है तो आप लोग इतनी बड़ी संख्या में सरकार के खिलाफ क्यों बैठे? तो उन्होंने इस सवाल पर चुप्पी साध ली और कोई जवाब नहीं दिया।

सरकार के खिलाफ धरने पर बैठे करीब 200 विधायकों में से ज्यादातर को सीएम योगी के विरोधी खेमे का बताया जाता है। सूत्र के मुताबिक, धरने पर बैठे ज्यादातर विधायकों ने उत्तर प्रदेश सरकार के एक ताकतवर मंत्री के जन्मदिन के मौके पर उनके घर जाकर बधाई दी थी और इस मौके पर ये भी कहा गया कि अगर आप इशारा करें तो आपका अगला जन्मदिन मुख्यमंत्री के तौर पर मनाना चाहते हैं।

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