कार्यालय में तोड़फोड़: उद्धव के लिए खतरे की घंटी, आगबबूला हुई शिवसेना

नई दिल्ली: महाराष्ट्र में मंत्रिमंडल विस्तार के बाद विधायकों में असंतोष दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है. पुणे के विधायक संग्राम थोपटे के समर्थकों ने कांग्रेस कार्यालय में तोड़फोड़ की, क्योंकि उन्हें मंत्री पद नहीं दिया गया. थोपटे ही नहीं, पूर्व गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे की बेटी प्रणीति शिंदे को भी मंत्रिमंडल से बाहर रखा गया. थोपटे के समर्थकों ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी को पत्र लिखा है, जबकि कुछ ने पार्टी के प्रति विद्रोही रवैया दिखाया है.

सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे इन लोगों से पार्टी के भीतर कर्नाटक जैसे किसी प्रकार के विद्रोह को खत्म करने के लिए बात करेंगे. जिन विधायकों ने सार्वजनिक तौर पर विरोध दर्ज नहीं कराया है, उन्होंने भी पार्टी फोरम पर नाराजगी जताई है. कुछ विधायकों ने तो यहां तक कह दिया कि वे सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मिलकर उन्‍हें स्थिति से अवगत कराएंगे.

हालांकि नई दिल्ली के हस्तक्षेप से परिणाम यह हुआ है कि प्रणीति शिंदे ने पार्टी के साथ किसी तरह के मतभेद से इनकार किया है और वहीं संग्राम थोपटे ने कहा है कि वह पार्टी के साथ हैं. इससे पहले मंगलवार को कांग्रेस के मंत्रियों ने मल्लिकार्जुन खड़गे, के.सी. वेणुगोपाल और पार्टी सचिव आशीष दुआ के साथ सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मुलाकात की और स्पष्ट रूप से असंतोष के बारे में बात की.

बालासाहेब थोरात और अशोक चव्हाण सहित वरिष्ठ मंत्रियों ने भी शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात की. राज्य में कांग्रेस कुछ वरिष्ठ नेताओं के साथ आंतरिक मतभेदों का सामना कर रही है. उनका कहना है कि मंत्रिमंडल विस्तार में उनकी अनदेखी की गई है.

मुंबई से दो बार के विधायक रहे अमीन पटेल को कैबिनेट में जगह मिलने की उम्मीद थी, लेकिन असलम शेख और वर्षा गायकवाड़ को मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया. मुंबई में, पूर्व मंत्री आरिफ नसीम खान भी नाराज हैं, उन्‍होंने मांग की है कि महाराष्ट्र सरकार केरल की तरह सीएए विरोधी प्रस्ताव पारित करे.

वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी नेतृत्व को अपनी शिकायतों से अवगत कराया. एक सूत्र ने बताया कि विधानसभा चुनाव में चौथे स्थान पर रही कांग्रेस अब पार्टी में वरिष्ठ नेताओं को समायोजित करने की योजना बना रही है और कई को संगठनात्मक कार्य सौंपा जा सकता है.

12 कांग्रेस नेताओं को कैबिनेट में जगह मिली है और कुछ प्रमुख विभागों पर नजर है. स्पीकर के पद के अलावा, पार्टी को एक नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करना है, क्योंकि बालासाहेब थोरात को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है. पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण, जो स्पीकर के पद के लिए सबसे आगे थे, उन्‍हें अब राज्य कांग्रेस प्रमुख के रूप में चुना जा रहा है. एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण अब उद्धव ठाकरे कैबिनेट का हिस्सा हैं.

जो कांग्रेसी मंत्री ना बन पाए उनके समर्थकों ने काटा बवाल, आगबबूला हुई शिवसेना

महाराष्ट्र सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार के बाद नाराज नेताओं की गुटबाजी सामने आने लगी हैं. कांग्रेस के विधायक संग्राम थोपटे को मंत्री पद नहीं मिलने से उनके नाराज समर्थकों ने पुणे जिला कांग्रेस कार्यालय पहुंचकर मंगलवार को तोड़फोड़ कर दी.

वहीं शिवसेना ने भी इस मामले पर अपनी चुप्पी तोड़ी है. शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए नाराज नेताओं को नसीहत दी है. सामना में लिखा, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मंत्रिमंडल का विस्तार कर दिया. विस्तार लंबित था. यह सत्य है. परंतु वह अंजाम तक पहुंच गया. विस्तार के बाद असंतुष्टों ने असंतोष की चिंगारी डाल दी है. इसलिए विरोधियों में आनंद उफान मार रहा है. हर मंत्रिमंडल विस्तार के बाद असंतोष की ऐसी खुसर-फुसर होती ही रहती है. चिंगारी उड़ती ही रहती है.

‘कांग्रेस की संस्कृति को शोभा नहीं देता’

सामना में लिखा, ‘कांग्रेस-राष्ट्रवादी और शिवसेना में ‘इच्छुकों’ की सूची बहुत बड़ी थी. उसमें से चुनाव करना पड़ा. लेकिन सबसे ज्यादा हैरानीवाली बात मतलब कांग्रेस के विधायक संग्राम थोपटे को मंत्री पद नहीं मिला इसलिए उनके समर्थकों ने ‘राड़ा’ किया. ‘राड़ा’ यह शब्द कांग्रेस की संस्कृति को शोभा नहीं देता. शिवसेना पर ‘राड़ेबाज’ ऐसी मुहर कई बार कांग्रेस ने लगाई. परंतु थोपटे के समर्थकों द्वारा किया गया कार्य ‘राड़ा’ संस्कृति में नहीं आता है.’

‘कार्यालय में तोड़-फोड़ की’

सामना में लिखा, ‘थोपटे समर्थकों ने नाराजगी व्यक्त की व बाद में निषेध भी किया. यहां तक ठीक है. बाद में संताप हद से ज्यादा बढ़ जाने पर उन्होंने कांग्रेस पार्टी का बैनर जलाया. इससे सभी आगे बढ़कर वे सभी लोग पुणे पहुंच गए और उन्होंने जिला कांग्रेस कार्यालय पर ही हिंसक हमला कर दिया. कार्यालय में तोड़-फोड़ की. नेताओं की तस्वीरों को तोड़कर चकनाचूर कर दिया. कांग्रेस नेताओं से अशोभनीय भाषा में बात की.’

‘कोई भी पार्टी ऐसे माहौल से मुक्त नहीं है’

सामना में लिखा, ‘संग्राम थोपटे को मंत्रिमंडल में नहीं लिया इसे लेकर असंतोष होगा फिर भी समर्थकों ने जिस तरह से असंतोष बाहर निकाला वह कांग्रेस की संस्कृति में शामिल नहीं होगा. (अब संग्राम थोपटे ने इस संदर्भ में इंकार किया होगा फिर भी घटना घट चुकी है.) मंत्री पद के बगैर राजनीति सूनी व जीवन नीरस ऐसे माहौल का यह परिणाम है. कोई भी पार्टी ऐसे माहौल से मुक्त नहीं है.’

‘कांग्रेस पार्टी में प्रणिति शिंदे को मंत्री पद नहीं मिला. वे कर्तव्यवान हैं तथा मंत्री पद के लिए योग्य थीं. परंतु कांग्रेस के हिस्से में जो ‘बारह’ का कोटा आया उसमें उन्हें बिठाया नहीं जा सका इसलिए उनके समर्थक भी नाराज हुए तथा उन्होंने सोनिया गांधी, राहुल गांधी को खून से पत्र लिखा. शिंदे परिवार का कांग्रेस का खून का रिश्ता है.’

‘बंटवारे को लेकर भी धुआं उठ रहा है’

सामना में लिखा, ‘महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से देश के गृहमंत्री पद तक तमाम पद सुशील कुमार शिंदे को गांधी परिवार व कांग्रेस के कारण ही मिला. यह प्रणिति शिंदे को समझना चाहिए तथा खून व्यर्थ बर्बाद करने की बजाय अगले राजनैतिक युद्ध के लिए सुरक्षित रखना चाहिए. कांग्रेस पार्टी में विभाग के बंटवारे को लेकर भी धुआं उठ रहा है.’

‘सब ठीक-ठाक है. राज्य मंत्रिमंडल का विस्तार कुछ लोगों के लिए खुशी की बात होगी फिर भी हाईकमान के लिए सिरदर्द सिद्ध हो रहा है. फिर भी ठीक है, ठाकरे सरकार ने विस्तार में सभी जगहों को भर दिया. दो-चार जगह अंत तक खाली रखकर नाराज लोगों को नारियल और गुड़ का प्रसाद दिखाते रहना यह धंधा मुख्यमंत्री ने नहीं किया. एक मजबूत और अनुभवी मंत्रिमंडल सत्ता में है. उन्हें काम करने दें.’

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