
यूनिक समय, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने DPS द्वारका द्वारा फीस वृद्धि के विवाद को लेकर एक अंतरिम आदेश जारी किया है। अदालत ने स्कूल को यह निर्देश दिया है कि जिन छात्रों के नाम फीस विवाद के चलते काटे गए थे, उन्हें तत्काल वापस लिया जाए। इसके साथ ही, छात्रों के माता-पिता को स्कूल द्वारा तय की गई बढ़ी हुई फीस का 50% हिस्सा जमा करने को कहा गया है।
जस्टिस विकास महाजन की अध्यक्षता में हाईकोर्ट ने यह आदेश बुधवार देर रात पारित किया। आदेश में यह स्पष्ट किया गया कि फीस में दी गई 50% राहत केवल बढ़े हुए हिस्से पर लागू होगी, जबकि मूल फीस का भुगतान पूरी तरह से करना होगा।
102 अभिभावकों की ओर से दाखिल याचिका में यह मांग की गई थी कि स्कूल द्वारा मनमाने ढंग से की गई फीस वृद्धि को रद्द किया जाए और छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि स्कूल ने फीस वसूली के लिए गलत तरीके अपनाए, यहां तक कि बाउंसरों की मदद ली गई और छात्रों तथा अभिभावकों के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि वर्ष 2025-26 के लिए जो राहत मांगी गई है, उसका कोई ठोस आधार रिकॉर्ड में नहीं है क्योंकि दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय द्वारा उस सत्र के लिए स्कूल की फीस को अभी तक खारिज नहीं किया गया है। जब तक निदेशालय स्कूल की वित्तीय स्थिति की समीक्षा कर कोई ठोस निर्णय नहीं लेता, तब तक कानून के तहत ऐसी फीस वृद्धि को अवैध नहीं कहा जा सकता।
अदालत ने कहा कि जब तक याचिका पर अंतिम निर्णय नहीं आ जाता, तब तक छात्रों को उनकी कक्षाओं में पढ़ाई जारी रखने दी जाएगी। शर्त यह है कि उनके माता-पिता 2024-25 के लिए निर्धारित बढ़ी हुई फीस का 50% हिस्सा जमा करें। अदालत ने यह भी साफ किया कि यह व्यवस्था केवल बढ़े हुए हिस्से पर लागू होगी, मूल शुल्क पूरा देना होगा।
कोर्ट ने इस मामले में DPS द्वारका, दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल को नोटिस जारी किया है और उनसे चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 28 अगस्त 2025 को होगी।
गौरतलब है कि याचिका में यह भी बताया गया था कि स्कूल ने पहले 7000 रुपये प्रतिमाह और अब 9000 रुपये प्रतिमाह की फीस बढ़ोतरी की है, जिससे अभिभावकों में भारी नाराज़गी है।
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