नई दिल्ली। एक इंसान के तौर पर लगभग हर किसी की जिंदगी में उतार-चढ़ाव आते हैं, कुछ लोग इन उतार-चढ़ावों से लड़ाई लड़कर उनको पार कर जाते हैं तो कुछ लोग लड़ाई नहीं लड़ पाते और खुद की जिंदगी को खत्म करने का फैसला कर लेते हैं। यहां तक कि कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनको एक समय पर आत्महत्या करने का ख्याल आया होता है, लेकिन उन्होंने ये फैसला किसी न किसी तरह बदलना उचित समझते हैं। ऐसे ही एक शख्स हैं भारतीय टीम के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी।
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तेज गेंदबाज शमी ने कहा है, “डिप्रेशन यानी अवसाद एक समस्या है जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। सुशांत सिंह राजपूत जैसे शानदार अभिनेता को अपनी जान गंवाते हुए देखना दुर्भाग्यपूर्ण था। वह एक दोस्त था और मेरी इच्छा थी कि मैं उससे बात करूं, मैं उसकी मानसिक स्थिति के बारे में जानता था। मेरे मामले में, मेरे परिवार ने मुझे उस निम्न चरण से बाहर निकाला। उन्होंने मेरा ध्यान रखा और मुझे एहसास दिलाया कि मुझे वापस लड़ने की जरूरत है।”
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उन्होंने आगे कहा, “कई बार मुझे आत्महत्या का अहसास हुआ, लेकिन मेरे परिवार ने सुनिश्चित किया कि मैं कभी अकेला न रहूं। कोई न कोई तो हमेशा मेरे आसपास ही रहेगा। अध्यात्म भी आपको जवाब पाने में मदद करता है। अपने करीबी लोगों से बात करना या काउंसलिंग करना सबसे अच्छा तरीका है। मानसिक दबाव निश्चित रूप से आपकी शारीरिक भलाई में हस्तक्षेप करता है। उसी समय, यदि आप दूसरों की मदद लेते हैं और इसके बारे में बात करते हैं, तो आप ऐसे मुद्दों से छुटकारा पा सकते हैं।”
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