70 साल की उम्र में कभी ऐसा तूफान, बवंडर नहीं देखा। बरसों पुराना बरगद का पेड़ जड़ समेत उखड़ गया। तमाम घर और दीवारें चंद क्षणों में धराशाई हो गईं। हवा की रफ्तार ऐसी कि खड़े रहना मुश्किल हो गया और मैं छिटक कर दूर जा गिरा। गांव में बिजली का कोई खंभा नहीं बचा, टिन और छप्पर वाले भी बेघर हो गए।
गांव बघा सोनगा के गोपाल सिंह तूफान की भयावहता का मंजर बताते हुए कांप उठे। पोस्टमार्टम गृह पर वह अन्य ग्रामीणों के साथ बैठे थे। बोले, उन्होंने वर्ष 1972 की बाढ़ का मंजर भी देखा था, लेकिन तबाही कुछ देर के तूफान ने ज्यादा मचाई है। गांव के राजू के पशुओं के बाड़े की चारों दीवारें ढह गईं।
फतेहपुर सीकरी से आए पूर्व ब्लाक प्रमुख भूप सिंह पिप्पल ने बताया कि डिठवार में तूफान ने भारी तबाही मचाई। खेतों में ट्यूबवेल की कोठरी हो या फिर झोपड़ी और टिनशेड, कुछ नहीं बचा। उन्होंने अपनी जिंदगी में कभी ऐसा तूफान नहीं देखा बिजली के पोल, तार, पेड़ों के साथ ही बड़ी संख्या में पक्षियों की मौतें भी हुई हैं।
मृतकों की संख्या अभी और बढ़ने की आशंका है। घायलों में 15 की हालत नाजुक बताई गई है। उधर, शासन ने मृतकों के आश्रितों को चार-चार लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है। खेरागढ़ में तो इतनी तबाही हुई है कि दर्द में डूबे लोग तूफान को प्रलय बता रहे हैं। प्रशासन ने जिले में मृतक संख्या 46 बताई है। खेरागढ़ तहसील क्षेत्र में 24 लोग मरे हैं।
डिठवार के पूर्व जिला पंचायत सदस्य पप्पू ने बताया कि तूफान के दौरान वह चौपाल के पास खड़े थे। जान बचाकर भागे मगर पैर उखड़ गए। किसी तरह गिरते पड़ते घर में घुसकर जान बचाई। केवल तूफान होता तो गनीमत रहती, ओले और बारिश ने मुसीबतें और बढ़ा दीं।
32 किमी. प्रति घंटा की रफ्तार से बुधवार रात आए तूफान के बाद ताजनगरी में हर तरफ तबाही का भयावह मंजर है। गुरुवार को मृतकों की संख्या 49 पर पहुंच गई। 100 से ज्यादा घायल हैं। 500 से ज्यादा मकान धराशायी हो गए। बिजली के 5000 से ज्यादा खंभे गिरे हैं।
फतेहाबाद में 12, बाह में चार, एत्मादपुर में 2, किरावली में तीन और सदर में एक की जान गई है। इसके अतिरिक्त खेरागढ़ के दो लोग धौलपुर में मरे हैं। सदर के कबूलपुर में एक बच्चा करंट लगने से मरा है। वह प्रशासन की सूची में नहीं है। तूफान की तीव्रता इतनी ज्यादा थी कि 100 साल पुराने पीपल के पेड़ जड़ सहित उखड़ गए।
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