नई दिल्ली। हाल ही में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के संघ कार्यालय जाने के फैसले का बचाव करते हुए कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा कि ‘अगर आरएसएस ने मुझे न्योता दिया होता तो मैं भी जाता।’
अंग्रेजी अखबार ईकनॉमिक टाइम्स से बातचीत में दिग्विजय ने कहा, ‘अगर आरएसएस ने मुझे बुलाया होता तो मैं भी जाता। आरएसएस सरसंघचालक के साथ मंच साझा करने में क्या बुराई है? मैं गया होता और उनको आईना दिखाता और अपनी विचारधारा को सबके सामने रखता।’
दिग्विजय ने इस बात को मानने से इनकार किया है कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की तरफ से आरएसएस का न्योता स्वीकार करना गलत कदम था। उन्होंने कहा, ‘नहीं। ऐसा एकदम नहीं है। मैं इस बात से इत्तेफाक नहीं रखता कि हेडगेवार भारत के महान सपूत थे। वह महान नहीं थे।’
आरएसएस के बुलावे पर जाने प्रणब के फैसले का दिग्विजय का समर्थन उस संदर्भ में अहम हो जाता है जिसमें उन्होंने चुनाव की राह पर बढ़ रहे मध्य प्रदेश में राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। आरएसएस पर उन्होंने ‘हिंसा, घृणा और आतंकवाद’ फैलाने का आरोप लगाया है और उसके लिए एक नया शब्द गढ़ा है ‘संघी आतंकवाद’।
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