दिनेश खटीक के पत्र ने सच्चाई से उठाया पर्दा, सिर्फ नाम के बनाए गए कई राज्यमंत्री

यूपी में जलशक्ति राज्यमंत्री दिनेश खटीक के इस्तीफे के बाद कई विभागों की सच्चाई सामने आ गई है। व्यवस्था को लेकर सवाल खड़ा करने वाले भले ही यह अकेले मंत्री हों लेकिन अव्यवस्था का शिकार लगभग सभी राज्यमंत्री हैं। विभागों में राज्यमंत्रियों के साथ लगातार भेदभाव हो रहा है और अफसर उनकी बात नहीं सुन रहे हैं।

योगी सरकार 2.0 में सीएम योगी के अलावा 52 मंत्री बनाए गए थे। इसमें 18 कैबिनेट मंत्री, 14 राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 20 राज्यमंत्री बनाए गए थे। शुरुआत में ही सीएम ने इस बात पर जोर दिया था कि मंत्री आपसी समन्वय के साथ में काम करें। विकास के समग्र प्रयास को लेकर उनके द्वारा 18 मंत्रियों के समूह बनाए गए थे उसमें भी राज्यमंत्रियों को लगाया गया था। विभागीय कार्ययोजना के प्रस्तुतिकरण को लेकर भी उन्हें अवसर दिया। लेकिन वास्तविकता यह है कि उसके बाद भी तमाम मंत्री खाली हाथ ही रह गए। आलम यह है कि मंत्रियों की बात अफसर सुनते ही नहीं हैं।

कुछ विभागों को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर में कैबिनेट मंत्री राज्यमंत्री के बीच काम का बंटवारा नहीं हुआ है। कैबिनेट मंत्री अपने ही राज्यमंत्रियों को बैठक में भी नहीं बुलाते हैं। लेकिन इसमें उनकी अधिक भूमिका नहीं रहती है। विभागों की अंदरूनी हकीकत को दिनेश खटीक के पत्र के स्पष्ट कर दिया है। पत्र में बताया गया कि अधिकारी बैठक की सूचना नहीं देते, पत्र का जवाब नहीं मिलता। यदि उनसे कोई काम कहा भी जाता है तो वह नहीं करते। यहां तक फोन पर कायदे से बात तक भी राज्यमंत्रियों से नहीं की जाती है। कैबिनेट मंत्री, प्रमुख सचिव या अपर मुख्य सचिव ही विभागों की कमान को अपने हाथों में थामे हुए हैं। कथिततौर पर भले ही सीएम ने हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि काम का बंटवारा हो और समन्वय से काम हो, लेकिन अफसर ही नहीं चाहते हैं कि ऐसा हो। इसमें सबसे बड़ी बाधा प्रमुख सचिव और अपर मुख्य सचिव हैं। उनकी इच्छा है कि वह ही ज्यादा पावर सेंटर रहें।

 

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*