नई दिल्ली। विश्व भर में तबाही मचाने वाली महामारी प्लेग ने कई सत्ताओं की जमीन हिला दी थी। कई नेता अपनी साख तक नहीं बचा पाए थे। वहीं, कोरोना वायरस का सत्ता और सत्ताधीशों की साख पर ठीक उलटा असर होता दिखाई दे रहा है। दुनियाभर के ज्यादातर नेताओं की लोकप्रियता में वैश्विक महामारी (Pandemic) के बीच इजाफा ही हुआ है, जबकि कोरोना वायरस से अब तक दुनियाभर में 2,87,332 लोगों की मौत हो चुकी है।
अमेरिका (US) समेत कई देशों की सरकारें इस वैश्विक महामारी के आगे घुटने टेक चुकी हैं और कई देश लॉकडाउन (Lockdown) की अवधि में वृद्धि करने से आगे कुछ सोच भी नहीं पा रहे हैं। अमेरिका की रिसर्च फर्म मॉर्निंग कंसल्ट ने पाया कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के 11 मार्च को कोरोना वायरस को वैश्विक महामारी घोषित करने के बाद से दुनिया के 10 नेताओं की लोकप्रियता में 9 फीसदी की वृद्धि हुई है। इनमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) सबसे ऊपर हैं। भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और जर्मनी के शीर्ष नेताओं की लोकप्रियता में इजाफा दर्ज किया गया है।
हर तबाही नेताओं के लिए वरदान ही साबित नहीं हुई है
विशेषज्ञ इस पैटर्न को ‘रैली-राउंड-द-फ्लैग’ प्रभाव कहते हैं। इसने समय-समय पर अंतरराष्ट्रीय संकटों के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपतियों को काफी फायदा पहुंचाया है। अध्ययन में पाया गया है कि बढ़ती देशभक्ति और उदार विपक्ष दोनों का इन शीर्ष नेताओं की लेाकप्रियता में इजाफा करने में योगदान है। हालांकि, अभी तक सभी तबाही नेताओं के लिए वरदान साबित नहीं हुई हैं। अमेरिका में 2005 में तूफान कैटरीना के दौरान तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश की रेटिंग खराब हो गई थी।
वहीं, ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर की लोकप्रियता 2005 में हुए लंदन ब्लास्ट के बाद काफी गिर गई थी. इसके अलावा फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद की लेाकप्रियता 2015 में पेरिस हमलों के घट गई थी. शायद मतदाताओं को लगा कि वे आतंकवाद को अच्छी तरह से निपटने में नाकाम रहे हैं. वहीं, अमेरिका के लोगों ने 2001 में हुए हमलों को युद्ध की कार्रवाई के रूप में देखा था।
इन शीर्ष नेताओं की लोकप्रियता में दर्ज हुआ है इजाफ
मॉर्निंग कंसल्ट के मुताबिक, लोगों ने उन नेताओं के पक्ष में वोट किया, जिन्होंने कोविड-19 को काफी गंभीरता से लेते हुए इसे फैलने से रोकने के लिए सख्त से सख्त कदम उठाए. लोकप्रियता के मामले में सबसे ज्यादा उछाल हासिल करने वाले नेताओं में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और जर्मनी शामिल हैं. इन देशों में अन्य पश्चिमी देशों के मुकाबले मृत्यु दर काफी नियंत्रण में रही है. फ्रांस में हालात काफी खराब होने के बाद भी इमैनुअल मैक्रां की लोकप्रियता बढ़ी है. वहीं, ब्रिटेन के लोग अपने प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के पीछे खडे नजर आ रहे हैं. लोगों में ये डर बना हुआ है कि लॉकडाउन में मामूली छूट भी हजारों लोगों की जान ले सकता है. वहीं, पीएम मोदी की लोकप्रियता में कुछ अंकों का इजाफा दर्ज किया गया है।
जापान और ब्राजील के शीर्ष नेताओं की लेाकप्रियता घटी
कुछ देशों के शीर्ष नेताओं पर वैश्विक महामारी को लेकर नासमझी के आरोप भी लग रहे हैं. जापान ने ज्यादातर देशों के मुकाबले कोरोना वायरस को लेकर अच्छे कदम उठाए, लेकिन उस पर अन्य एशियाई देशों की तुलना में कम बेहतर निर्णय लेने का आरोप लग रहा है. इसलिए जापान के शीर्ष नेता शिंजो आबे की लोकप्रियता गिरी है. वहीं अमेरिका, मेक्सिको और ब्राजील के राष्ट्रपतियों ने कहा कि कोविड-19 को लेकर लोग बेवजह डरे हुए हैं. इस वजह से मेक्सिको के राष्ट्रपति आंद्रे मैनुएल लोपेज ऑब्राडोर (Amlo) और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की लोकप्रियता में मामूली इजाफा दर्ज किया गया है. वहीं, ब्राजील के राष्ट्रपति जैर बॉल्सोनारो की लेाकप्रियता 9 प्वाइंट्स घट गई है।
शीर्ष नेताओं के मुकाबले सत्तारूढ़ दलों को कम फायदा
कोरोना वायरस से मुकाबले के बीच सत्ताधारी पार्टियों को मामूली फायदा मिला है. एंजेला मर्केल की सीडीयू/सीएसयू की लोकप्रियता में 10 अंक का उछाल आया है. उनके अलावा बाकी सभी पार्टियों की प्रसिद्धी में इकाई अंक का उछाल आया है. द इकोनॉमिस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, इतिहास बताता है कि देशभक्ति में उछाल बहुत कम समय के लिए होता है, जबकि किसी भ चुनाव में मंदी महंगी साबित होती है. ट्रंप को लेकर लोगों की विचारधारा लगातार बदल रही है. देश में 70 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. ऐसे में ट्रंप को लेकर बहुत से अमेरिकियों की राय धीरे-धीरे ही सही बदल रही है. वहीं, ट्रंप नवंबर से पहले अपने समर्थकों का भरोसा खोना किसी भी हालत में सहन नहीं कर पाएंगे।
82 फीसदी को भरोसा, पीएम मोदी कर रहे सही काम
रिसर्च डेटा में अप्रूवल रैकिंग के लिहाज से 82 फीसदी लोगों ने भरोसा जताया है कि पीएम नरेंद्र मोदी कोरोना वायरस से अच्छे से मुकाबला कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि पीएम मोदी ने समय रहते देश में लॉकडाउन का एलान किया और जब जरूरत पड़ी तो राज्यों के सीएम व विपक्ष के नेताओं से चर्चा कर इसे बढ़ाने का भी फैसला किया. भारत के इस फैसले की तारीफ डब्ल्यूएचओ भी कर चुका है. प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना संकट के दौरान काम रहे स्वास्थकर्मियों, पुलिसकर्मियों और दूसरे लोगों को ‘कोरोना वॉरियर्स’ की संज्ञा दी ताकि उनका मनोबल ऊंचा रहे. सिर्फ देश में ही नहीं पीएम मोदी ने भारत के मित्र देशों की मदद भी की. अमेरिका और दूसरे देशों को कोरोना से लड़ने के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा भेजी. इसके लिए ट्रंप और ब्राजील के राष्ट्रपति ने पीएम मोदी की तारीफ भी की. वहीं, राज्यों में फंसे मजदूरों के लिए गृहराज्य लौटने के इंतजाम भी किए जा रहे हैं।
अप्रूवल रेटिंग में पीएम मोदी निकल गए सबसे आगे
अप्रूवल रेटिंग के लिहाज से ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन की लोकप्रियता 64 फीसदी रही है. वहीं, कनाडा के प्रधानमंत्री जेम्स ट्रूडो की लोकप्रियता 61 फीसदी, जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल की 58 फीसदी, ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉनसन 61 फीसदी, फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों 34 फीसदी, मेक्सिको के अम्लो 64 फीसदी और ट्रंप की लोकप्रियता 44 फीसदी रही है. जापान के आबे पर सिर्फ 28 फीसदी लोगों ने भरोसा जताया है, जबकि ब्राजील के बोल्सोनारो पर 47 फीसदी लोगों को कोरोना से निपट पाने का भरोसा है. लेकिन बोल्सोनारो की लोकप्रियता पहले के मुकाबले घट गई है।
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