इलाहाबाद हाईकोर्ट: सबकुछ चयनित तरीके से बंद करना होगा ताकि लोग बेवजह बाहर न निकलें, जानिए पूरी रिपोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बढ़ते कोरोना संक्रमण और इससे होने वाली मौतों की संख्या में वृद्धि पर चिंता जताई है। कोर्ट ने कहा कि सरकार ने रोडमैप पेश कर संक्रमण रोकने के कदम उठाने का आश्वासन तो दिया लेकिन जिला प्रशासन बिना जरूरी काम के घूमने वालों, चाय-पान की दुकान पर भीड़ लगाने वालों पर नियंत्रण करने में नाकाम रहा। पुलिस ने बिना मास्क लगाए निकलने वालों व सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन न करने वाले लोगों पर जुर्माना लगाया व चालान काटा, फिर भी लोग जीवन की परवाह नहीं कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि ब्रेड बटर और जीवन में चुनना हो तो जीवन ज्यादा जरूरी है। सरकार को संक्रमण का फैलाव रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।

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चयनित तरीके से सबकुछ बंद करना होगा ताकि लोग बेवजह बाहर न निकलें : 
तमाम उपायों के बावजूद कोरोना वायरस के बढ़ते हुए संक्रमण को देखते हुए कोर्ट ने कहा कि हमारी राय में लॉकडाउन से कम कोई उपाय संक्रमण रोकने में कारगर साबित नहीं होगा। परिणाम के लिए हमें चयनित तरीके से सबकुछ बंद करना होगा ताकि बेवजह बाहर निकलने वाले लोगों को उनके घरों के भीतर रहने के लिए विवश किया जा सके। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा एवं न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने क्वारंटीन सेंटरों व अस्पतालों की हालत सुधारने की जनहित याचिका पर दिया है । कोर्ट ने कहा कि सुरक्षा बल की कमी के कारण हर गली में पुलिस पेट्रोलिंग नहीं की जा सकती। बेहतर है कि लोग स्वयं ही घरों में रहें। जरूरी काम होने पर ही बाहर निकलें।

एक्शन प्लान लागू करने में नाकाम अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई :
कोर्ट ने मुख्य सचिव को रोड मैप व कार्रवाई रिपोर्ट के साथ 28 अगस्त को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। साथ ही उनसे पूछा है कि लॉक डाउन के बाद अनलॉक कर अर्थ व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कोरोना संक्रमण रोकने का कोई एक्शन प्लान तैयार किया गया था या नहीं। यदि प्लान था तो उसे ठीक से लागू क्यों नहीं किया गया। कोर्ट ने कहा कि सरकार की ओर से समय-समय पर जारी आदेशों से साफ है कि कोई केंद्रीय योजना नहीं थी। कोर्ट ने मुख्य सचिव से यह भी बताने को कहा है कि एक्शन प्लान लागू करने में नाकाम अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई। कोर्ट ने मुख्य सचिव को मांगी गई पूरी जानकारी पेश करने का निर्देश दिया है।

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नगर स्वास्थ्य अधिकारी को नियमित सेनेटाइजेशन व फॉगिंग के निर्देश :
नगर निगम के अधिवक्ता एसडी कौटिल्य व सत्यब्रत सहाय ने बताया कि डॉ विमल कांत को नगर स्वास्थ्य अधिकारी नियुक्त किया गया है। कोर्ट ने उन्हें सफाई, सेनेटाइजेशन व फॉगिंग व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने प्रयागराज में नगर निगम की अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही की निरीक्षण कर रिपोर्ट पेश करने के लिए एडवोकेट कमिश्नर चंदन शर्मा को 10 दिन का और समय दिया है। उनके सहयोग के लिए शुभम द्विवेदी को एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया है। इससे पहले नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर राम कौशिक ने अपना नाम वापस ले लिया।

खराब क्वालिटी के मास्क की बिक्री पर जानकारी मांगी :
कोर्ट ने अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल से खराब क्वालिटी के मास्क की बिक्री पर जानकारी मांगी है।एएसजीआई शशि प्रकाश सिंह ने कोरोना आईसीयू वार्ड में डॉक्टर व स्टाफ की तैनाती की गाइडलाइन पेश की। कोर्ट ने प्रदेश के सात जिलों लखनऊ, कानपुर नगर, प्रयागराज, वाराणसी, बरेली, गोरखपुर व झाँसी की स्थिति का जायजा लिया।

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