सभी सुखों की प्राप्ति और बिगड़े काम बनाने के लिए मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर करें व्रत

संवाददाता
यूनिक समय, मथुरा। हर महीने की शुक्ल पक्ष की आखिरी तिथि को पूर्णिमा तिथि कहते हैं। इस दिन को पूर्णमासी के नाम से भी जानते हैं। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष की पू्र्णिमा तिथि को मार्गशीर्ष पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इसे बत्तीसी पूर्णिमा या कोरला पूर्णिमा भी कहते हैं। इस साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा 30 दिसंबर (बुधवार) को पड़ रही है। इस दिन स्नान, दान और तप का विशेष महत्व होता है। कहते हैं कि इस दिन विधि-विधान से पूजा और व्रत करने को कष्टों से मुक्ति मिलती है और बिगड़े काम बन जाते हैं।

अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, यह इस साल की आखिरी पूर्णिमा तिथि है। इस दिन भगवान दत्तात्रेय जयंती भी है। मान्यता है कि मार्गशीर्ष की पूर्णिमा तिथि पर अन्य पूर्णिमा तिथियों की तुलना में 32 गुना ज्यादा फल की प्राप्ति होती है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर तुलती की जड़ की रज से पवित्र नदी में स्नान करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कहते हैं कि इस दिन सत्यनारायण भगवान की कथा सुनना या पूजा करवाना बेहद शुभ होता है। पूर्णिमा तिथि के दिन भगवान शिव और चंद्रमा की पूजा का भी विशेष महत्व है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा पूजा विधि
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। सबसे पहले स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान घर साफ करें। ऊँ नमो: नारायण मंत्र का जाप करते हुए आवाह्वन करें। अब श्रीहरि को आसन, गंध, पुष्प और भोग अर्पित करें। इसके बाद पूजा स्थल पर वेदी बनाएं और हवन-पूजन करें। हवन समाप्ति के बाद भगवान विष्णु का ध्यान लगाएं। रात्रि को भगवान श्रीहरि की मूर्ति के पास ही शयन करें।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत मुहूर्त
दिसंबर 29, 2020 को सुबह 07:55:58 से पूर्णिमा आरम्भ होकर 30 दिसंबर को रात 08:59:21 पर पूर्णिमा समाप्त होगी।

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