Sawan month 2020 date: जिस तरह चैत्रमाह के आते ही पृथ्वी अन्नमय और प्राणी राममय हो जाते हैं उसी तरह श्रावण का माह आते ही पृथ्वी हरे रंग की चादर ओढ़ लेती है और प्राणी शिवमय हो जाता है। श्रावण ही ऐसा माह है जब कृष्ण गोपिकाओं के साथ तथा शिव सभी देवताओं के साथ पृथ्वी पर होते हैं। माहपर्यंत देवराज इंद्र शिव पर निरंतर रिमझिम वर्षा करके शीतलता प्रदान करते हैं। श्रावण में शिवपूजा करना, कावड़ चढाना, रुद्राभिषेक करना, शिव नाम कीर्तन करना, शिवपुराण का पाठ करना अथवा शिव कथा सुनना, दान्पुन्य करना तथा ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करना अतिशुभ माना गया है।
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सावन माह का महत्व
श्रावण माह का प्रत्येक प्रहर परम शुभ रहता है। इसके महत्व को समझते हुए माता सती ने जब दूसरे जन्म में पर्वतराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया तो पुनः माहदेव को पति रूप में पाने के लिए पूरे श्रावण माह व्रत किया और शिव को पति रूप में पुनः प्राप्त किया। कुवांरी कन्याओं को इन दिनों व्रत करने से मनोनुकूल पति की प्राप्ति होती है और विवाहित स्त्रियों का सुहाग सुखी और समृद्धशाली रहता है।
श्रावण में शिवलिंग की पूजा का महत्व
श्रावण में शिवलिंग की पूजा करने से जन्मकुंडली के नवग्रह दोष तो शांत होते हैं विशेष करके चंद्र्जनित दोष जैसे मानसिक अशान्ति, माँ के सुख और स्वास्थ्य में कमी, मित्रों से संबंध, मकान-वाहन के सुख में विलम्ब, हृदयरोग, नेत्र विकार, चर्म-कुष्ट रोग, नजला-जुकाम, श्वास रोग, कफ-निमोनिया संबंधी रोगों से मुक्ति मिलती है और समाज में मान प्रतिष्ठा बढती है।
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सुहागिन महिलाएं ऐसे करें शिव पूजा
इस वर्ष श्रावण का पहला दिन 06 जुलाई सोमवार को सूर्य के नक्षत्र उत्तराषाढ़ में पड़ने से और भी शुभ हो गया है। सुहागिन महिलाओं को इस दिन माँ पार्वती को श्रृंगार हेतु मेहंदी चढ़ानी चाहिए। पुरुषों को पंचामृत, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से स्नान कराकर बेलपत्र पर अष्टगंध, कुमकुम, अथवा चन्दन से राम-राम लिखकर ॐ नमः शिवाय करालं महाकाल कालं कृपालं ॐ नमः शिवाय’ कहते हुए शिवलिंग पर अर्पित करना चाहिए। इसके अतिरिक्त भांग, धतूर बेलपत्र, मंदार पुष्प तथा गंगाजल भी अर्पित हुए ‘काल हरो हर, कष्ट हरो हर, दुःख हरो, दारिद्र्य हरो, नमामि शंकर भजामि शंकर शंकर शंभो तव शरणं।मंत्र से प्रार्थना करनी चाहिए।
शिवलिंग पर भांग, मंदार, बेलपत्र, धूतरा और शमी पत्र चढ़ाने के फायदे
प्रतिदिन शिवलिंग पर बेलपत्र चढाने से व्यापार और सामाजिक प्रतिष्ठा बढती है। भांग अर्पण से प्रेत बाधा तथा चिंता दूर होती है। मंदार पुष्प से नेत्र और ह्रदय विकार दूर रहतें हैं। शिवलिंग पर धतूर के पुष्प तथा फल अर्पण करने से विषैले जीवों से खतरा समाप्त होजाता है। शमी पत्र चढ़ाने से शनि की शाढेसाती, मारकेश तथा अशुभ ग्रह-गोचर से हानि नहीं होती ! इसलिए श्रावण के एक-एक क्षण का सदुपयोग करें त्रिबिध तापों से मुक्ति पाएं।
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