कानपुर। घाटमपुर से दो बार विधायक बनने के अलावा दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री रहे 84 वर्षीय रामआसरे अग्निहोत्री का बुधवार दोपहर बीमारी के बाद निधन हो गया। वह समाजवादी राजनीति के जुझारू नेता थे। वर्ष 1970 से 1990 के बीच किए गए संघर्ष ने उन्हें देशभर में पहचान दिलाई। राजनीतिक कॅरियर भले ही असमय अस्त हो गया लेकिन आत्मसम्मान के लिए मुलायम ङ्क्षसह यादव तक से वह टकरा गए थे।
आपातकाल में जेल की यातनाएं सहकर बाहर निकले तो पहली बार जनता पार्टी से विधायक बने। 1989 में जनता दल से दोबारा विधायक बने तो तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम ङ्क्षसह यादव ने उन्हें खादी बोर्ड का उपाध्यक्ष बनाया। कमजोर आॢथक पृष्ठभूमि से राजनीति में आने के बावजूद उन्होंने जीवन भर आत्मसम्मान से समझौता नहीं किया। 1990 में अजित ङ्क्षसह व मुलायम ङ्क्षसह के बीच मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए शक्ति परीक्षण हुआ तो वह मुलायम सिंह के साथ खड़े हुए लेकिन 1993 में बसपा से गठबंधन के बाद मुलायम ङ्क्षसह यादव ने उनकी टिकट काटी तो उनके सामने ही विरोध का एलान कर लौट आए।
कार्यकर्ताओं को जोड़कर जनता दल का समर्थन किया और घाटमपुर, भोगनीपुर व जहानाबाद सीट पर गठबंधन प्रत्याशियों को पराजय का रास्ता दिखाया। वह एक माह से एलएलआर (हैलट) अस्पताल में भर्ती थे। बुधवार अपराह्न तीन बजे उन्होंने अंतिम सांस ले ली। वह अपने पीछे पुत्र रमेश, महेश, सुरेश व अवधेश एवं पुत्री सुधा का परिवार छोड़ गए हैं। महेश अग्निहोत्री ने बताया कि अंतिम यात्रा वाई ब्लॉक किदवई नगर स्थित आवास से निकलेगी। अंतिम संस्कार भगवतदास घाट पर होगा।
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