मध्य प्रदेश में एक 17 साल की नाबालिग लड़की ने अपनी स्कूल फीस भरने और किताबें खरीदने के लिए प्राइवेट जासूस का फोन चुरा लिया. हालांकि बाद में सच्चाई सामने आने के बाद शिकायत दर्ज करवाने वाले शख्स ने ही अपनी शिकायत वापस ले ली और स्कूल की फीस भी भर दी.
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दरअसल, इंदौर के सुदामा नगर में रहने वाले 50 वर्षीय जासूस धीरज दुबे का मोबाइल फोन घर से चोरी हो गया था. उन्होंने इसकी शिकायत पुलिस से कर दी. निजी जासूस ने पुलिस के अलावा अपने दम पर चोर को ट्रैक करने का फैसला किया. उन्होंने बताया कि “मैंने सभी सीसीटीवी कैमरों की जांच की तो नौकरानी की 17 वर्षीय बेटी की बॉडी लैंग्वेज संदिग्ध लगी. मैंने बुधवार को उसे बुलाया और 11वीं कक्षा की परीक्षा में उसके प्रदर्शन सहित कई सवाल बेहद विनम्रता से पूछा. उसने इसी वर्ष कक्षा 12वीं में दाखिला लिया था.
दुबे के मुताबिक बातचीत के दौरान लड़की ने पहले तो चोरी से इनकार किया लेकिन बाद में लड़की ने अपराध करने की बात कबूल कर ली. उसने बताया कि फोन चुराकर उसने एक दोस्त को दे दिया और इसके बदले उससे 2500 रुपये उधार ले लिए ताकि वह अपने स्कूल की 1600 रुपये फीस जमा कर सके. लड़की ने बाकी पैसों में और पैसे जोड़कर 1200 रुपये की किताबें खरीद ली. उन्होंने कहा कि कोरोना संकट और लॉकडाउन होने की वजह से उसके माता-पिता के पास पैसे नहीं थे. निजी जासूस ने बताया कि लड़की ने मोबाइल देकर जो पैसे लिए थे उससे उसने अपना कोई शौक पूरा नहीं किया बल्कि स्कूल फीस जमा की और किताबें खरीदी.
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ये जानकारी मिलने के बाद जासूस धीरज दुबे ने कहा कि उन्होंने उसके दोस्त को 2,500 रुपये की राशि भी चुका दी जो उसने मोबाइल फोन के बदले ली थी. चूंकि लड़की मेधावी है और उसने कक्षा 11 की परीक्षा में 71% अंक प्राप्त किए थे, इसलिए मैंने भविष्य में भी उसकी पढ़ाई का खर्च उठाने का वादा किया है. 18 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद उसे पार्ट टाइम नौकरी दिलाने में भी मदद करूंगा.
द्वारिकपुरी पुलिस स्टेशन के प्रभारी धर्मवीर सिंह नागर ने दुबे की प्रशंसा करते हुए कहा, “धीरज दुबे ने वास्तव में लड़की का समर्थन करके एक सराहनीय काम किया. उसने हमें चोरी के बारे में सूचित किया लेकिन वह केवल हमारी मदद से लड़की के दोस्त से अपना मोबाइल फोन वापस लेना चाहता था. उन्होंने लड़की के भविष्य को देखते हुए पुलिस से कोई भी शिकायत करने से इनकार कर दिया.वहीं उस लड़की ने कहा, ‘मैंने वास्तव में गलती की है. लेकिन मैं इस डर से शुल्क जमा करने के लिए बेचैन थी कि स्कूल में मेरा एडमिशन रद्द न हो जाए. मैं भविष्य में कभी कोई अपराध नहीं करूंगी और अपनी पढ़ाई पर ध्यान दूंगी. मैं धीरज सर की आभारी हूं कि उन्होंने न केवल मेरी आर्थिक मदद की, बल्कि उन्होंने पुलिस में भी शिकायत दर्ज नहीं की.’
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