यूनिक समय, मथुरा। जीएलए विश्वविद्यालय के फार्मेसी विभाग में मोलसॉफ्ट एलएलसी के साथ अकेडमिक पार्टनरशिप में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। विद्यार्थियों ने मोल सॉफ्टवेयर के माध्यम से दवाओं की प्रयोगशाला में बनाने से पहले कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग के जरिये उनके औषधीय गुण परखने के बारे में जानकारी ली। कार्यक्रम में कई संस्थानों के विद्यार्थियों ने भाग लिया।
हैण्ड्स आॅन ट्रैनिंग वर्कशॉप आॅन मोलीकुलर डॉकिंग एंड मोलीकुलर डायनामिक्स सिमुलेशन आयोजित कार्यशाला में विद्यार्थियों को दवाओं के नवनिर्माण के लिए अनुसंधान प्रयोगशालाओं में उपयोग में लाये जाने वाले सॉफ्टवेयर के संबंध में जानकारी प्रदान की।
पहले दिन मुख्य अतिथि यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली के सेंटर फॉर बायोमेड़िकल रिसर्च विभाग की प्रो. मधु चोपड़ा ने कहा कि कई बीमारियां व्यक्ति इस प्रकार जकड़ लेती हैं कि संबंधित दवाओं से उक्त बीमारी कोई फर्क नहीं पड़ता। आज जरूरत है तो ऐसी दवाओं के नवनिर्माण की जो बीमारी पर असरदार हो। औषधि अनुसंधान प्रयोगशालाओं में मोलसॉफ्ट बहुत मदद करने में कारगर साबित हो सकता है।
डा. तारक करमाकर ने विद्यार्थियों से फार्मा क्षेत्र की चुनौतियों पर चर्चा की
आईआईटी दिल्ली से डा. तारक करमाकर ने विद्यार्थियों से फार्मा क्षेत्र में हो रहे अनुसंधान एवं चुनौतियों के बारे में विस्तार से चर्चा की। दूसरे दिन मोल सॉफ्टवेयर के बारे में जानकारी देते हुए मोलसॉफ्ट एलएलसी कंपनी से डा. मोहसिन खान पठान एवं अमित वेदी ने बताया कि मोलसॉफ्ट के माध्यम से वैज्ञानिक उन्हीं दवाओं को प्रयोगशाला में बनाते हैं, जिनमें फामार्कोलाजिकल एक्टिविटी पायी जाती है। इस प्रकार वैज्ञानिक व्यर्थ के कैमिकल्स बनाने में लगने वाले समय और खर्चे को बचा पाते हैं।
जीएलए फार्मेसी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डा. सुमन सिन्हा ने छात्रों को ड्रग डिजाईन के प्रयोग में लायी जाने वाली सॉफ्टवेयर की जानकारी दी। प्रो. मीनाक्षी वाजपेयी ने कार्यशाला में आये सभी अतिथियों का स्वागत किया और उनको दो दिवसीय कार्यषाला के विषय में बताया। फार्मेसी के निदेशक प्रो. अरोकिया बाबू ने कंपनी द्वारा दिए गये सहयोग की सराहना की। डा. योगेश मूर्ति ने आभार जताया।
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