मथुरा। योगी सरकार ने जल निगम के पर कतर दिए हैं। सीवर, कूड़ा निस्तारण और ड्रेनेज, एसटीपी निर्माण, संचालन और रखरखाब के कार्य दूसरी एजेंसियों को सौंप दिए हैं। इससे नाराज निगम सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने जा रहा है। बुधवार को अधिशासी अभियंता कार्यालय कृष्णा नगर में जल निगम समन्वय समिति प्रदर्शन कर धरना देगी।
नगर विकास प्रमुख सचिव मनोज कुमार सिंह ने दिसंबर में जल निगम के परंपरागत कार्य सीवर, ड्रेनेज सिस्टम, कूड़ा निस्तारण, एसटीपी निर्माण, संचालन और उनका रखरखाव के साथ-साथ पेयजल योजनाओं के कार्य दूसरी एजेंसियों से कराने के आदेश जारी किए थे। इस आदेश के मुताबिक अब इन कार्यों का विकास प्राधिकरण, नगर निगम, राजकीय निर्माण निगम और डूडा जैसी एजेंसियां भी करा सकता है। नगर विकास के प्रमुख सचिव के इस आदेश का जल निगम अपने लिए शुभसंकेत नहीं मान रहा है। उत्तर प्रदेश जल निगम समन्वय समिति के प्रवक्ता आरपी यादव ने बताया कि सरकार जल निगम को नगर निगम में मर्ज करने के लिए जा रही है। इसके विरोध में जल निगम समन्वय समिति बुधवार को अधिशासी अभियंता कार्यालय कृष्णा नगर पर प्रदर्शन कर धरना देगी। इसके बाद 23 अप्रैल को प्रदेश स्तरीय आंदोलन किया जाएगा। जलनिगम के कर्मचारी लखनऊ में धरना देंगे। समिति के प्रवक्ता यादव ने बताया कि वर्ष 1975 में उप्र लोक स्वास्थ्य विभाग अभियंत्रण विभाग था, बीच में इसको खत्म कर दिया गया। अब समिति सरकार से पहले की तरह विभाग का गठन किए जाने की मांग की रही है। सरकार से कई बार वार्ता भी हो चुकी है। हर बार समिति को आश्वासन दिया गया, लेकिन उस पर अमल नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि भूजल का दूसर स्टेटा दूषित हो गया है। इसके कारण कई जानलेवा बीमारियां फैल रही हैं। इनसे बचाव के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने शुद्ध पेयजल पाइप लाइन से घरों पहुंचाने का मानक भी तय किया था। जल निगम इस कार्य को परंपरागत रूप से कर भी रहा है। अमृत योजना के कार्य दूसरी एजेंसियों को सौंपे जा रहे हैं। इस तरह सरकार लगातार जल निगम की उपेक्षा कर रही है। उन्होंने कहा दस सूत्रीय मांगों को लेकर निगम सालों से आंदोलन कर रहा है। सरकार निगम की सुनवाई नहीं कर रही है। इसके विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है।
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