नई दिल्ली। हरियाली तीज सावन महीने का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह दिन सुहागिन स्त्रियों के लिए बहुत मायने रखता है। सावन महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज मनाई जाती है। कुछ जगहों पर इसे कजली तीज भी कहा जाता है। इस वर्ष हरियाली तीज 23 जुलाई (गुरुवार) को मनाई जाएगी। इस दिन सुहागिन महिलाएं भगवान शिव और मां गौरी की पूजा करती हैं। इस दिन महिलाएं बागों में झूला झूलती हैं और अपने हाथों पर मेहंदी भी रचाती हैं. आइए जानते हैं कि क्यों हरियाली तीज पर हाथों में मेहंदी लगाई जाती है और क्या होता है रतजगा।
हरियाली तीज पर क्यों लगाते हैं मेहंदी
हिंदू धर्म में हरियाली तीज और मेहंदी का विशेष महत्व बताया गया है. मान्यता अनुसार जो भी सुहागिन स्त्री, इस ख़ास दिन अपने हाथों में मेहंदी लगाती है, उसका दांपत्य जीवन समृद्ध बनता है। इसलिए ही इस दिन महिलाएं हाथों और पैरों में मेहंदी लगाने की परंपरा निभाना शुभ मानती हैं। माना गया है कि इस दिन विवाहित महिलाओं को, अपने दांपत्य जीवन में सौभाग्य प्राप्ति के लिए और कुंवारी महिलाओं को भगवान शिव की तरह ही वर प्राप्ति के लिए पूर्ण श्रृंगार करना चाहिए. इसमें मेहंदी को भी श्रृंगार का एक महत्वपूर्ण भाग बताया गया है, जिसके बिना श्रृंगार अधूरा माना जाता है।
ऐसे में महिलाओं द्वारा अपने हाथों में मेहंदी लगाना, अपने पति के प्रति प्रेम और खुशहाली को दर्शाता है। हिंदू शास्त्रों अनुसार, जिस प्रकार मेहंदी का रंग हरा होता है, और वो रचने के बाद हाथों की सुंदरता में चार चांद लगाती है। ठीक उसी प्रकार सावन के महीने में भी पृथ्वी पर प्रकृति का सौंदर्य, वातावरण में चार चांद लगाने का काम करता है। इसलिए मेहंदी के हरे रंग को हरियाली का प्रतीक माना जाता है, जिसे इस विशेष दिन लगाने से जीवन में समृद्धि और सुख प्राप्त होता है।
हरियाली तीज में रतजगा का महत्व
हरियाली तीज की पूर्व संध्या में निभाई जाने वाली एक अनोखी रस्म को रतजगा कहते हैं। ये रात्रि में किए जाने वाला, एक प्रकार का जगराता या जागरण होता है जिसमें सभी महिलाएं रात्रि जागरण करते हुए हर्ष और उल्लास के साथ, तीज के लोकगीत और भजन गाती हैं. हिन्दू पंचांग के अनुसार रतजगा की रस्म श्रावण शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को निभाई जाती है जबकि हरियाली तीज इसके अगले दिन, तृतीया तिथि को पड़ती है।
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