पानीपत, जेएनएन। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड का दसवीं कक्षा का परिणाम बृहस्पतिवार को घोषित कर दिया गया। बेटियों ने हर बार की तरह टॉप में जगह बनाई। पानीपत की बेटी संजू और कैथल की बेटी ईशा ने 500 में से 497 अंक लेकर टॉप किया। दोनों ही बेटियों से दैनिक जागरण ने जब पूछा कि वे क्या बनना चाहती हैं तो ईशा ने कहा कि उसका सपना है कि वह देश की प्रधानमंत्री बने। संजू ने कहा, वह आइएएस अफसर बनेगी। बेटियों के सुनहरे सपनों को सुनकर उनके पास मौजूद मां-पिता की आंखों से खुशी के आंसू छलक आए। पढि़ए रिजल्ट पर विशेष रिपोर्ट।
कैथल के सांघन गांव शिव शिक्षा निकेतन वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की ईशा ने बताया कि मेरी इस उपलब्धि का श्रेय माता-पिता को देना चाहूंगी। मैंंने जो भी मेहनत की है, वह अपने माता-पिता के लिए की है। वहीं उन्होंने कहा कि मेहनत करने की कोई सीमा नहीं होती और न कोई एक दिन में टॉपर बन जाता है। इतना पढऩा चाहिए कि 24 घंटे भी आपको कम लगे। कहा, बुक से हमेशा लगाव रखना चाहिए। बुक पढऩा नहीं छोडऩा चाहिए। अगर कोई मुश्किल आती है या फिर कोई भी मन में सिलेबस को लेकर दिक्कत है तो तुरंत अध्यापकों को बताएं। इसका हल निकालें। सोशल मीडिया का सहारा नहीं लेना चाहिए।
गांव में खुशी का माहौल
परीक्षा परिणाम को लेकर छात्रा ईशा को जानकारी मिली तो खुशी से झूम उठी। ईशा ने कहा कि उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं है। प्रदेशभर में प्रथम स्थान प्राप्त कर वे बेहद खुश है।
पांचवीं तक सरकारी स्कूल में पढ़ी
छात्रा ईशा ने बताया कि पांचवीं कक्षा तक वे गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ी है। छठी कक्षा से इस स्कूल में है।
लगातार 10 घंटे तक की पढ़ाई
लगातार दस घंटे तक पढ़ाई कर यह मुकाम हासिल किया है। पहले स्कूल और इसके बाद घर जाते ही किताब उठाती थी। रात को दो बजे तक पढ़ती थी।
मां का सहयोग सबसे ज्यादा
ईशा ने बताया कि मां का भरपूर सहयोग मिला। उसकी पढ़ाई को देखते हुए मां ने कभी बर्तन तक नहीं उठाने दिया। पिता धमेंद्र खनौरी ट्रक यूनियन में मजदूरी करते हैं। उन्होंने हमें पढ़ाई के लिए प्रेरित किया।
न स्मार्ट फोन, न कोई ट्यूशन
घर में कोई स्मार्ट फोन नहीं है। पापा के पास सामान्य फोन है। कभी कोई ट्यूशन नहीं रखी। सोशल मीडिया व टीवी से वे दूर रही है।
संजू ने फोन छोड़ दिया था
पानीपत के करहंस गांव की संजू के पिता रामपाल कारपेंटर हैं। संजू ने बताया कि उसने परीक्षा से छह महीने मोबाइल फोन को देखना तक बंद कर दिया था। हर रोज आठ घंटे तक पढ़ाई की। वह आइएएस अफसर बनना चाहती है।
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