लद्दाख में शहीद देव बहादुर (24) की बहन के हाथ पीले करने की इच्छा भी अधूरी रह गई। वह इकलौती बहन गीता की शादी धूमधाम से करना चाहते थे, लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। देव बहादुर का बचपन काफी मुफलिसी में बीता है। पिता शेर बहादुर बचपन से मजदूरी करके जीवनयापन करते थे और सीमित आय में उन्होंने बच्चों को पढ़ाया।
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बेटे किशन बहादुर, देव बहादुर और अनुज ने स्नातक तक शिक्षा ग्रहण की। बड़ा बेटा किशन जब फौज में भर्ती हुआ तो परिवार की आर्थिक हालत सुधरी थी। उसके बाद देव के भी फौज में जाने के बाद घर में खुशियां आने लगीं। घर आने पर दोनों भाई माता-पिता के साथ बैठ कर इकलौती बहन गीता की शादी धूमधाम से करने के ख्वाब बुनते थे।
देव अपनी बड़ी बहन की शादी धूमधाम से करने के बाद अपनी शादी करना चाहता था। दोनों भाई माता-पिता की गरीब जिंदगी को देख चुके थे और अब उन्हें पूरा सुख देना चाहते थे। दोनों भाइयों ने पहले पक्का मकान बनवाया। बहन को भी अच्छी शिक्षा दिलाई। लेकिन अचानक हुए हादसे ने परिवार को झकझोर दिया। बहन गीता बेसुध पड़ी बार-बार भाई को पुकार रही थी।
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शहीद देव बहादुर को कबड्डी और संगीत का शौक था। पिता शेर बहादुर ने बताया कि कबड्डी की कई बड़ी प्रतियोगिताओं में उसने हिस्सा लिया था। उसे संगीत सुनना भी पसंद था। देव के दोस्तों ने बताया कि उसके स्वभाव के कारण सभी उसे प्यार करते थे। वह बेहद शांत स्वभाव का था। भाजपा नेता अजय तिवारी और कृषक एवं स्वतंत्रता सेनानी संगठन के संयोजक कर्नल प्रमोद शर्मा ने भी शोक जताया है। प्रमोद ने बताया कि देव अच्छे धावक थे।
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बता दें कि ग्राम गौरीकला निवासी गोरखा रेजिमेंट के जवान देव बहादुर लद्दाख क्षेत्र में पेट्रोलिंग के दौरान शहीद हो गए। देव चार साल पहले ही गोरखा रेजिमेंट में भर्ती हुए थे। शहीद के भाई ने बताया कि जमीन में बिछी माइन में हुए विस्फोट की चपेट में आकर उनका भाई शहीद हुआ है। जवान की शहादत की सूचना से परिजनों में कोहराम मच गया। शहीद की पार्थिव देह देर शाम तक घर पहुंचने की संभावना है और सोमवार को अंतिम संस्कार किया जाएगा।
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