भोपाल. मध्य प्रदेश के बहुचर्चित हनी ट्रैप केस में CID ने जो चार्जशीट दाखिल की है, उसको लेकर सवाल उठने लगे हैं कि जांच एजेंसी किसे फंसा रही है और किसे बचा रही है. दरअसल, सीआईडी की चार्जशीट के मुताबिक इस केस में जिन आरोपियों की भूमिका सामने आई थी, उनसे न तो पूछताछ की गई और न ही उन्हें आरोपी बनाया गया है. चार्जशीट में तमाम संदिग्धों का जिक्र तो है, लेकिन जांच एजेंसी ने इनकी भूमिका की पड़ताल नहीं की. हनी ट्रैप केस से जुड़े मानव तस्करी मामले की जांच सीआईडी कर रही थी. इस केस में फरियादी आरोपी मोनिका के पिता थे. पिता का आरोप था कि उनकी बेटी को बहला-फुसलाकर गलत काम कराया गया. सीआईडी ने जांच कर 600 पेज की चार्जशीट भोपाल जिला कोर्ट में पेश की. इसमें कई ऐसे नामों का जिक्र है, जिनसे न तो पूछताछ की गई और न ही उन्हें आरोपी बनाया गया. यही वजह है कि अब इस चार्जशीट पर सवाल उठने लगे हैं कि जांच एजेंसी किसे बचा रही है और किसे फंसा रही है.
चार्जशीट पर उठे ये सवाल
1 – आरोपी श्वेता विजय जैन से जुड़ी पूजा नाम की महिला ने सुसाइड कर लिया था. इसी महिला का एक पूर्व सांसद से कनेक्शन था. पूजा के सुसाइड का चार्जशीट में जिक्र है, लेकिन इस बिंदु पर किसी तरह की जांच नहीं की गई.
2 – चार्जशीट में आरोपी आरती दयाल के घर से 10 करोड़ रुपए से ज्यादा के तीन चेक, लाखों की नगदी, प्रॉपर्टी के दस्तावेज, सरकारी योजनाओें और ट्रांसफर पोस्टिंग के दस्तावेजों का जिक्र है, लेकिन इनके कनेक्शन को लेकर कोई खुलासा नहीं किया गया.
3 – एक IAS अफसर से एक करोड़ रुपए लेने का भी जिक्र है, लेकिन चार्जशीट में उस अधिकारी का नाम नहीं है.
4 – छतरपुर जिला कांग्रेस अध्यक्ष मनोज त्रिवेदी के साथ उनके दो सहायकों से ब्लैकमेलिंग के मामले में छतरपुर टीआई की भूमिका सामने आने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई.
5 – आरोपी मोनिका ने अपने बयान में खाद्य मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के निजी सचिव हरीश खरे और खनिज मंत्री प्रदीप जायसवाल के विशेष सहायक अरुण निगम पर जबर्दस्ती की कोशिश का आरोप लगाया था. ये दोनों अधिकारी अपने अश्लील वीडियो की वजह से हनीट्रैप के शिकार भी हुए थे. मोनिका को लेकर मानव तस्करी का केस तो दर्ज किया गया, लेकिन उसके बयान के आधार पर हरीश खरे और अरुण पर एफआईआर दर्ज नहीं की गई.
6 – सोशल मीडिया पर जिन अफसरों और प्रभावशाली लोगों के ऑडियो-वीडियो सामने आए थे, उनका चार्जशीट में जिक्र तक नहीं किया गया.
7 – इस केस में पैसों के लेन-देन में भोपाल के दो पत्रकारों के नाम का जिक्र चार्जशीट में किया गया, लेकिन उनसे न ही पूछताछ की गई और न ही कोई नोटिस भेजा गया.
8 – चार्जशीट में आरोपी श्वेता स्वप्निल जैन के कई अफसरों व प्रभावशाली लोगों से अच्छे संबंध होने का जिक्र है, लेकिन जांच में इन नामों का न ही खुलासा किया गया और न ही उनसे कोई पूछताछ का विवरण है.
9 – आरती दयाल के घर से मिली गुलाबी रंग की पांच डायरियां में जमीनों की खरीद-फरोख्त, लेन-देन के हिसाब का कोड, एग्रीमेंट और ट्रांसफर पोस्टिंग का जिक्र होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई.
किस दबाव में एसआईटी
हनीट्रैप केस की जांच एसआईटी कर रही है, जिसकी अगुवाई स्पेशल डीजी राजेंद्र कुमार कर रहे हैं. मामले में राजेंद्र कुमार कुछ भी कहने से बचते हैं. अब सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या एसआईटी किसी के दबाव में काम कर रही है. हालांकि, जांच एजेंसी के पास मानव तस्करी की पूरक चार्जशीट पेश करने का विकल्प है, लेकिन मेन चार्जशीट में जिन संदिग्धों और बातों का जिक्र किया गया, उनकी जांच-पड़ताल नहीं होने से ये सवाल खड़े हो रहे हैं. एसआईटी इस मामले में कुछ भी कहने से बच रही है. ऐसे में किसे बचाया जा रहा है और किसे फंसाया जा रहा है, ये सवाल उठना लाजिमी है.
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