यदि राष्ट्रपति ट्रंप पर महाभियोग चला तो निचले सदन के वर्तमान आंकड़े उनके लिए चिंता का सबब बन सकते हैं।
नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ऊपर महाभियोग की तलवार उनके राष्ट्रपति पद संभालने के साथ ही लटक गई थी। राष्ट्रपति चुनाव को रूस द्वारा ट्रंप के हक में प्रभावित किए जाने का मामला लगातार लगातार तूल पकड़ रहा है। आरोप ये भी है कि ट्रंप ने रूसी राजदूत को कई खुफिया जानकारियां मुहैया करवाई थीं, जिनसे चुनाव को प्रभावित किया जा सकता था। इस मामले की जांच करने वाले विशेष वकील रॉबर्ट मुलर की रिपोर्ट आने के बाद से ही विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसद राष्ट्रपति ट्रंप पर महाभियोग चलाने की मांग कर रहे हैं। निचले सदन की न्यायिक समिति ने भी जस्टिस बेरिल ए हॉवेल से विशेष वकील मुलर की रिपोर्ट से जुड़ी सभी जानकारियां उजागर करने को कहा है।
सबसे बड़ा सवाल
आपको यहां पर ये भी बता दें कि केवल संसद के निचले सदन (House of Representatives) में ही ट्रंप को उनके क्रियाकलापों के लिए दोषी ठहराया जा सकता है। लेकिन यहां पर ये सवाल काफी बड़ा है कि यदि राष्ट्रपति ट्रंप पर महाभियोग चलता है तो उस परिस्थिति में क्या होगा। इसको समझने के लिए जरूरी है कि अमेरिकी संसद के निचले सदन के बारे में भी जान लिया जाए। ऐसा इसलिए भी जरूरी है क्योंकि महाभियोग चलाने या गिराने के लिए जरूरी बहुमत को लेकर यहीं पर वोटिंग होती है। इसी निचले सदन की न्यायिक समिति भी ट्रंप पर महाभियोग चलाने के रास्ते तलाशने में जुटी है।
मुश्किल में आ सकते हैं राष्ट्रपति ट्रंप
अब जरा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर महाभियोग की सूरत में क्या होगा इस बारे में भी आपको जानकारी दे देते हैं। दरअसल, निचले सदन जहां पर महाभियोग की पूरी प्रक्रिया होती है और इसको लेकर वोटिंग की जाती है, में 435 सीटें हैं। इस सदन में डेमोक्रेटिक पार्टी को बहुमत हासिल है और उनकी सीट 235 हैं। वहीं रिपब्लिकन पार्टी को 197 सीटें हासिल हैं, जबकि एक निर्दलीय है और दो सीटें अभी रिक्त हैं। यहां पर ये भी आपको बता दें कि राष्ट्रपति ट्रंप रिपब्लिकन पार्टी से ही आते हैं। लेकिन इस सदन में उनकी पार्टी की सीटों का कम होना ट्रंप के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। ऐसे में यदि ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू होती है तो उन्हें पद भी छोड़ना पड़ सकता है।
झटके पर झटके
नवंबर 2016 में अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही डोनाल्ड ट्रंप को कई झटके लग चुके हैं। ट्रंप के बेहद करीबी कहे जाने वाले लोग जिनमें उनके चुनावी अभियान के चीफ और डिप्टी चीफ, उनके एनएसए, वकील को रॉबर्ट मुलर की जांच में दोषी ठहराया गया है। इसके अलावा इस मामले की जांच में जुटी एफबीआई के डायरेक्टर जेम्स कॉमी को राष्ट्रपति ट्रंप हटा चुके हैं। इसको लेकर वह सांसदों के निशाने पर आ चुके हैं। कुछ सांसदों का आरोप है कि ट्रंप ने जिस तरह से न्याय प्रणाली में हस्तक्षेप किया है, वह उन पर महाभियोग चलाने के लिए काफी है।
इन मामलों में चल सकता है राष्ट्रपति पर महाभियोग
अमेरिकी संविधान के मुताबिक राष्ट्रपति को देशद्रोह, रिश्वत और दूसरे संगीन अपराधों में महाभियोग का सामना करना पड़ता है। महाभियोग के बाद राष्ट्रपति को पद छोड़ना पड़ता है। अमेरिकी संसद के निचले सदन (House of Representatives) में महाभियोग की प्रक्रिया शुरू होती है महाभियोग चलाने की मंजूरी को लेकर सबसे पहले सीनेट में इसको लेकर बहस होती है, जिसके बाद इसको मंजूरी देने के लिए दो तिहाई बहुमत की जरूरत होती है।
इनको करना पड़ा है महाभियोग का सामना
अमेरिकी इतिहास में केवल दो राष्ट्रपतियों को ही अब तक महाभियोग का सामना करना पड़ा है। इनमें अमेरिका के 42वें राष्ट्रपति बिल क्लिंटन का नाम शामिल है। क्लिंटन को जूरी के समक्ष झूठी गवाही देने और न्याय में बाधा डालने के मामले में महाभियोग का सामना करना पड़ा था। दरअसल, मोनिका लेविंस्की से प्रेम संबंधों के बारे में उन्होंने न सिर्फ जूरी के समक्ष झूठ बोला था बल्कि मोनिका पर भी झूठ बोलने के लिए दबाव बनाया था। हालांकि उनके इस मामले में जरूरत बहुमत नहीं मिल सका था, लिहाजा ये गिर गया। महाभियोग की यह प्रक्रिया करीब 21 दिन चली थी। क्लिंटन के अलावा अमेरिका के 17वें राष्ट्रपति एंड्रयू जॉनसन को भी महाभियोग का सामना करना पड़ा था। उनका कार्यकाल 1865 से 1869 तक था। जॉनसन के खिलाफ 1868 में महाभियोग लाया गया था। दरअसल, नीतियों को लेकर युद्ध मंत्री एडविन स्टैंचन और राष्ट्रपति जॉनसन के बीच नाराजगी थी। जिसके बाद एडविन को पद से हटा दिया गया था। हालांकि राष्ट्रपति को हटाने के लिए लाए गए इस महाभियोग को भी जरूरी बहुमत नहीं मिल सका था, जिसकी वजह से जॉनसन की कुर्सी भी बच गई।
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