नई दिल्ली। देश की 24 कंपनियों के पास बीमाधारकों के 16,000 करोड़ रुपये लावारिस पड़े हैं। इसका 70 फीसदी यानी कुल 10,509 करोड़ रुपये सिर्फ एलआईसी के बीमाधारकों के है. यह आंकड़ा 31 मार्च, 2018 का ही है. वहीं, 24 गैर-जीवन बीमा कंपनियों के पास पड़े 848 करोड़ रुपयों का कोई दावेदार नहीं है।
भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण ने बीमा कंपनियों से इस तरह के बीमाधारकों की पहचान करने और उन्हें उनका पैसा लौटाने के निर्देश दिए हैं। हर बीमा कंपनी में पॉलिसीधारक की सुरक्षा के लिए बनायी गई निदेशक स्तरीय समिति को जिम्मेदारी दी गई है कि वह बीमाधारकों के सभी बकायों का समय से भुगतान करे। अगर आपका भी बीमा कंपनी LIC या फिर किसी अन्य के पास पैसा है तो कैसे पता कर सकते हैं. इसी की जानकारी आज हम आपको दे रहे हैं।
कैसे करें पता- इरडा ने बीमा कंपनियों को अपनी वेबसाइट पर सर्च की सुविधा मुहैया कराने के लिए कहा है. इसकी मदद से पॉलिसीधारक या आश्रित इस बात का पता लगा सकते हैं कि क्या उनके नाम पर इन कंपनियों के पास कोई बिना दावे वाली रकम तो नहीं है.
एलआईसी, एलआईसी बकाया प्रीमियम विवरण, एलआईसी प्रीमियम भुगतान, एलआईसी भर्ती 2018, एलआईसी एजेंट समाप्ति नियम, एलआईसी मृत्यु दावा प्रक्रिया, एलआईसी की कन्यादान पॉलिसी, एलआईसी पॉलिसी, एलआईसी पॉलिसी प्रीमियम भुगतान, एलआईसी पॉलिसी दिल्ली
पॉलिसीधारक/लाभार्थी को बिना दावे वाली रकम का पता लगाने के लिए पॉलिसी नंबर, पॉलिसीधारक का पैन, उसका नाम, आधार नंबर जैसे ब्योरे डालने पड़ते हैं. बीमा कंपनियों के लिए जरूरी है कि वे अपनी वेबसाइट पर बिना दावे वाली रकम के बारे में बताएं. यह जानकारी उन्हें हर छह महीने में देनी पड़ती है. आपको बता दें कि सभी कंपनियों की वेबसाइट पर ये सुविधा उपलब्ध है. एलआईसी के लिए दिए गए लिंक को कॉप कर एड्रस बार में पेस्ट करें।
बीते पांच साल में अनक्लेम्ड अमाउंट 25 फीसदी बढ़ा-बीमा कंपनियों के पास ऐसी बड़ी रकम जमा है, जिस पर किसी ने दावा नहीं किया है. यह रकम पॉलिसीधारकों की है. आंकड़ा इतना बड़ा है कि आप चौंक जाएंगे. रिपोर्टों की मानें तो 31 मार्च, 2018 तक 24 जीवन बीमा कंपनियों के पास पॉलिसीधारकों की बिना दावे वाली रकम 15,167 करोड़ रुपये थी. यह रकम दिनोंदिन बढ़ रही है. इसकी तुलना में 2012-13 में पूरी इंडस्ट्री के लिए अनक्लेम्ड अमाउंट का आंकड़ा 4,865.81 करोड़ रुपये था. बीते पांच साल में इसमें सालाना आधार पर 25 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
एलआईसी, एलआईसी बकाया प्रीमियम विवरण, एलआईसी प्रीमियम भुगतान, एलआईसी भर्ती 2018, एलआईसी एजेंट समाप्ति नियम, एलआईसी मृत्यु दावा प्रक्रिया, एलआईसी की कन्यादान पॉलिसी, एलआईसी पॉलिसी, एलआईसी पॉलिसी प्रीमियम भुगतान, एलआईसी पॉलिसी दिल्ली
किसका कितना पैसा अनक्लेम्ड- बीमा नियामक इरडा ने इस बारे में डेटा जारी किया है. इसके मुताबिक, एलआईसी के पास इस तरह की 10,509 करोड़ रुपये की रकम है. जबकि अन्य 22 निजी बीमा कंपनियों के पास ऐसे 4,657.45 करोड़ रुपये हैं।
निजी बीमा कंपनियों में आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस के पास बिना दावे वाली 807.4 करोड़ रुपये की रकम है. फिर रिलायंस निपॉन लाइफ इंश्योरेंस (696.12 करोड़ रुपये), एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस (678.59 करोड़ रुपये) और एचडीएफसी स्टैंडर्ड लाइफ इंश्योरेंस (65 9 .3 करोड़ रुपये) का नाम आता है।
क्या होता है इस रकम का-जुलाई 2017 में बीमा नियामक इरडा ने एक सर्कुलर जारी किया था. इसमें सभी बीमा कंपनियों को निर्देश दिए गए थे. उनसे 30 सितंबर, 2017 तक 10 साल से ज्यादा की अवधि में पॉलीसीधारकों की दावा नहीं की गई रकम को वरिष्ठ नागिरक कल्याण कोष (एससीडब्लूएफ) में डालने के लिए कहा गया था. यह काम उन्हें एक मार्च, 2018 या उसके पहले तक कर लेना था।
क्यों नहीं होता है दावा-पॉलिसी के बारे में नॉमिनी को नहीं होता है पता : अक्सर इस तरह की इंश्योरेंस पॉलिसी के बारे में नॉमिनी को पता ही नहीं होता है. या फिर पॉलिसी डॉक्यूमेंट नहीं मिलते हैं. इस तरह पॉलिसीधारक की मौत होने पर आश्रित इस रकम पर दावा करने की स्थिति में नहीं होते हैं. ऐसी स्थिति से बचने के लिए नॉमिनी को न केवल पॉलिसी के बारे में पता होना चाहिए, बल्कि उसे यह जानकारी भी होनी चाहिए कि पॉलिसी से जुड़े दस्तावेज कहां रखे हैं। पॉलिसी में नॉमिनेशन को अपडेट कराना भी नहीं भूलना चाहिए।
ये भी वजह- चेक के पेमेंट के साथ तय समय जुड़ा होता है. इसके गलत रखरखाव से भुगतान में देरी हो सकती है. ज्यादातर बीमा कंपनियों ने क्लेम के भुगतान के लिए इलेक्ट्रॉनिक व्यवस्था शुरू कर दी है. 2014 के बाद जारी पॉलिसी में बीमा कंपनियां फंडों के इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर पर जोर देती हैं. इसके लिए वे आवेदन के समय ही ब्लैंक कैंसल्ड चेक ले लेती हैं।
Leave a Reply