
रतलाम. आज भारतीय नौसेना दिवस है। भारतीय नौसेना दिवस के मौके पर हम मध्यप्रदेश के एक ऐसे बहादुर सपूत की आपको कहानी बता रहे हैं। जो वतन के लिए शहीद हो गए पर अपने जान देकर कई परिवार की जिंदगी भी बचा गए। शहीद का नाम है लेफ्टिनेंट कमांडर धर्मेंद्र सिंह चौहान। धर्मेंद सिंह चौहान मध्यप्रदेश के रतलाम जिले के रहने वाले थे। धर्मेंद सिंह चौहान 26 अप्रैल 2019 को आईएनएस विक्रमादित्य में लगी आग बुझाने के दौरान शहीद हो गए थे। बता दें कि घटना के वक्त आईएनएस विक्रमादित्य कर्नाटक के करवार बंदरगाह में प्रवेश कर रहा था।
मां को खाना बनाते समय मिली सूचना
नेवी अफसर ने लेफ्टिनेंट कमांडर धर्मेंद्र सिंह चौहान की मां टमा कुंवर को बताया कि धर्मेंद्र सिंह चौहान शहीद हो गए हैं। उसके बाद घर में सन्नाटा पसर गया था। वहीं, जब बहू ने फोन कर अपनी सास को धर्मेंद के घायल होने की जानकारी दी थी तो उस वक्त धर्मेंद्र की मां खाना खा रही थी। धर्मेंद्र के शहीद होने की खबर मिलते ही आसपास के लोग भी जमा हो गए। साथ ही उनके रिश्तेदार भी आ गए।
शादी के डेढ़ माह बाद हुए थे शहीद
शहीद लेफ्टिनेंट कमांडर धर्मेंद्र सिंह चौहान की शादी 10 मार्च को आगरा की करुणा सिंह के साथ हुई थी। 12 मार्च को रतलाम में रिसेप्शन हुआ था उसके बाद 23 मार्च को वो ड्यूटी पर वापस लौट गए थे। जाते समय धर्मेंद्र ने अपनी मां से वादा किया था कि दीपावली पर वापस आऊंगा और सबको घुमाने ले जाऊंगा। लेकिन 26 अप्रैल को आईएनएस विक्रमादित्य में लगी आग को बुझाने के दौरान वो शहीद हो गए।
अंतिम विदाई में शव को चूमती रही करुणा
जब शहीद का पार्थिक शव रतलाम पहुंचा था तो करुणा बार-बार तस्वीरों को निहारती और ताबूत से लिपट रही थी। करुणा कह रही थी अब इन तस्वीरों और यादों की सहारे तो जीना है। अभी पूरी जिंदगी बची है। करुणा ने पति के शव को चूम कर अंतिम विदाई दी थी।
आज भी लगाती हैं सिंन्दूर
पति के शहीद होनेके बाद भी करुणा आज भी माथे पर सिंदूर लगाती हैं। उनका कहना है कि मैं उनकी पत्नी हूं और उन्होंने देश की सुरक्षा के लिए खुद की जान दी है।

इकलौता बेटा था धर्मेंद्र
बेटे की शहादत की खबर के बाद से आज भी मां को दिन रो-रोकर गुजरता है। छोटी बहन मां को संभालती है। आज भी रोत हुए शहीद की मां कहती हैं कि बहुत क्यूट था मेरा बेटा। वो रियल हीरो था। मैंने मेहनत-मजदूरी कर उसे पाला था। क्योंकि आगे में सुख भोगूंगी। अब सब कुछ लूट गया, इकलौता बेटा था मेरा वो।
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