अपनी लोकसभा में 11 फरवरी के बाद एक भी अवैध मस्जिद नहीं रहने दूँगा, सारी हटा दूँगा

“दिल्ली में भाजपा की सरकार बनते ही उन सरकारी जमीनों को खाली कराया जाएगा, जिन पर धार्मिक स्थलों का निर्माण किया गया है। दिल्ली में 54 से ज्यादा मस्जिद, मदरसे सरकारी जमीन पर बने होने की शिकायत अभी तक आई है। सूची दिल्ली के उपराज्यपाल को पहले ही दी जा चुकी है।”

भारतीय जनता पार्टी के सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण कर बनाई गई मस्जिदों को हटाने को लेकर हमेशा से मुखर रहे हैं। अब उन्होंने एक बार फिर से इन अवैध मस्जिदों को हटाने की बात कही है। प्रवेश वर्मा ने सोमवार (27 जनवरी, 2020) को कहा, “जब दिल्ली में मेरी सरकार बनेगी तो 11 फरवरी के बाद एक महीने में मेरी लोकसभा में जितनी भी मस्जिद सरकारी जमीन पर बनी हैं, उनमें से एक मस्जिद भी नहीं छोड़ूँगा। सारी मस्जिद हटा दूँगा।”

दिल्ली विधानसभा चुनाव में शाहीन बाग बड़ा मुद्दा भी गरमाता जा रहा है। बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा ने कहा है कि अगर दिल्ली में सत्ता में आए तो एक घंटे में शाहीन बाग खाली करा लेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि सभी जानते हैं कि कौन लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। इनका मकसद सीएए को समझना नहीं है। उन्होंने एक ट्वीट के जरिए दिल्ली के सीएम पर निशाना साधते हुए कहा, “केजरीवाल जी जब आए तो लोगों ने सोचा हमारे लिए कुछ अच्छा काम करेगा, हमारे ऊपर लटक रही बुलडोजर की तलवार को हटाएगा, हमारी कॉलोनियों को पक्का करवाएगा, लेकिन केजरीवाल ने 5 साल में ऐसा कुछ भी नहीं किया।”

गौरतलब है कि ये पहली बार नहीं है जब प्रवेश वर्मा ने ‘अवैध’ मस्जिदों से जुड़े मुद्दे को सार्वजनिक तौर पर उठाया। मस्जिदों के टूटने को लेकर प्रवेश वर्मा पहले भी बयान दे चुके हैं। 18 जनवरी को एक ट्वीट करते हुए “दिल्ली में भाजपा की सरकार बनते ही उन सरकारी जमीनों को खाली कराया जाएगा, जिन पर धार्मिक स्थलों का निर्माण किया गया है। दिल्ली में 54 से ज्यादा मस्जिद, मदरसे सरकारी जमीन पर बने होने की शिकायत अभी तक आई है। सूची दिल्ली के उपराज्यपाल को पहले ही दी जा चुकी है।”

बता दें कि साल 2019 के जून महीने में आधिकारिक रूप से ये मामला उठाने के बाद प्रवेश वर्मा को धमकियाँ तक मिलीं। जिसके मद्देनजर उन्हें जून 20, 2019 को पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक को चिट्ठी लिखकर जानकारी देनी पड़ी कि उन्हें फोन पर एसएमएस भेजकर और सोशल मीडिया के जरिए जान से मारने की धमकियाँ दी गई। उन्होंने उस समय इस मामले की जाँच कर आरोपितों का पता लगाने और उनके खिलाफ की थी। साथ ही सरकारी जमीनों पर लगातार हो रहे अतिक्रमण को लेकर उपराज्यपाल अनिल बैजल से जुलाई में मुलाकात की थी।

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