नई दिल्ली। कोरोना ने दुनियाभर के बड़े देशों को भले ही इस समय परेशान कर रखा है, लेकिन छोटे से मुल्क भूटान में यह महामारी फैलने नहीं पाई। देश में कोरोना के महज 9 ही मामले सामने आए हैं। अबतक देश में इस महामारी की वजह से किसी की भी मौत नहीं हुई है. इसे लेकर भूटानी सरकार की प्रशंसा की जा रही है. लेकिन देश के लोगों में आम धारणा यह भी है कि उन्हें सरकार ने नहीं बल्कि भगवान बुद्ध ने बचाया है।
गौरतलब है कि कोरोना वायरस से बचाव के उपायों के दौरान ही भूटान में लगातार प्रार्थनाएं भी चल रही थीं. लोगों का विश्वास है कि सरकार के प्रयास ने तो असर दिखाया है लेकिन हमारे बौद्ध देश पर भगवान बुद्ध की कृपा रही।
आस्था से इतर सरकारी सतर्कता की कहानी
लोगों की इस धार्मिक भावना से अलग हटकर बात की जाए तो भूटान सरकार ने वाकई काबिल-ए-तारीफ प्रयास किए हैं। वास्तविकता में अगर सरकार और राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक ने सभी प्रयास नहीं किए होते तो साढ़े सात लाख की आबादी वाले देश में यह रोग बुरी तरह तबाही मचा सकता था।
6 मार्च को कोरोना वायरस का पहला मामला भूटान में सामने आया था तब आशंकाएं जाहिर की गईं थीं कि देश में महामारी का व्यापक असर पड़ सकता है. गौरतलब है कि भूटान दुनिया के दो सबसे ज्यादा आबादी वाले देशों भारत और चीन के बीच में पड़ता है. भारत के साथ भूटान का खुला बॉर्डर है वहीं चीनी लोग भूटान को पर्यटन स्थल के रूप में बहुत पसंद करते हैं।
इतना ही नहीं इसी दौरान दुनिया के सबसे प्रभावित देशों से भूटानी छात्र स्वदेश भी वापस लौटे. यह ध्यान देने वाली बात है कि भूटान के भीतर भी कोरोना के तेज संक्रमण का खतरा मौजूद था. इस देश में डॉक्टर्स की कमी है. साढ़े सात लाख की आबादी वाले देश में महज तीन सौ के आस-पास डॉक्टर हैं।
देश के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक सिर्फ एक आइसीयू एक्सपर्ट मौजूद है. जो हार्ट संबंधी समस्याओं का विशेषज्ञ है. अंगुलियों पर गिने जा सकने लायक लेबोरेट्री एक्सपर्ट हैं. वेंटिलेटर की संख्या नाममात्र के बराबर है. पीपीई किट्स की भी कमी थी. दिलचस्प रूप से भूटान एक प्राकृतिक खूबसूरती वाला देश तो है. लेकिन इसकी 20 फीसद आबादी तीन क्लस्टर में रहती है. इसमें राजधानी थिंपू भी शामिल है।
भूटान में पहला कोरोना का मामला 6 मार्च को आया था। एक 76 वर्षीय अमेरिकी सैलानी कोरोना पॉजिटिव पाया गया था। जानकर आश्चर्य होगा कि जिस जगह इस व्यक्ति को भर्ती किया गया था वहां पर खुद राजा के परिवार से एक व्यक्ति निरीक्षण किया. भूटान कोरोना से लड़ाई में मुख्यतौर पर विदेशी मदद के भरोसे ही था। लेकिन इन सबके बीच जिस बात ने देश के लोगों को सबसे ज्यादा राहत दी वह देश की यूनिवर्सल हेल्थ केयर स्कीम. इस स्कीम के तहत देश का हर नागरिक अपना इलाज फ्री में करा सकता है।
किए गए बेहद तेज उपाय
पहला कोरना पॉजिटिव केस मिलने के साथ ही कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग की शुरुआत की गई है. और जिनमें भी लक्षण दिखाई दिये उनकी तुरंत जांच करवाई गई। राष्ट्रीय तैयार का एक प्लान तैयार किया गया और इसके लिए एक कमेटी बनाई गई। साथ ही देश में कोरोना से संबंधित हर जानकारी की प्रेस ब्रीफिंग की गई और देश के लोगों को महामारी के संबंध में लगातार सूचनाएं पहुंचाई गईं।
पूरे देश में 120 क्वारंटीन फैसिलिटी सेंटर बनाए गए थे. बेहद सख्त लॉकडाउन फॉलो किया गया. सभी बाहर से आने वाले यात्रियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया। सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पूरा ख्याल रखा गया। इस बीच देश में जितने होटल थे उन्होंने भी अपनी इमारतें कोरोना से लड़ाई में मुफ्त में दे दीं। सरकार के साथ मिलकर सेल्फ हेल्फ ग्रुप्स ने लोगों तक खाना पहुंचाया।
यह सच है कि भूटान में मामले बेहद कम आए हैं. लेकिन वहां की सरकार ने वह सारे नियम सख्ती से फॉलो किए जिससे यह महामारी अपना विकराल रूप लेने ही न पाए. देश में जितने भी लोग बाहर से वापस लौटे उन सभी ने खुद को सेल्फ क्वारंटीन किया. सरकार भी उन सबपर निगाह रख रही थी. स्टूडेंट्स को लाने के लिए चार्टर प्लेन भेजे गए. ब्रिटेन से आए कुछ स्टूडेंट्स में कोरोना के मामले सामने आए. इस दौरान भूटान के राजा ने तकरीबन देश के हर जिले की यात्रा की. निरीक्षण किए. भारत के साथ लगने वाले दक्षिणी हिस्से पर विशेष ध्यान दिया गया. इस दौरान रॉयल भूटान आर्मी ने सीमाओं पर रहने वाले लोगों के लिए तेजी के साथ बांस के मकान बनाए जिससे उन्हें खुले में न रहना पड़े।
इसलिए बौद्ध धर्म के अनुयायियों से भरे भूटान में लोगों का मानना भले ये हो कि उन्हें ईश्वरीय कृपा ने बचाया है लेकिन सच ये है कि वहां कि सरकार कम संसाधनों के बीच जबरदस्त सतर्कता दिखाई. सरकार और राजा के प्रयासों की वजह से जो देश शुरुआत में बेहद मुश्किल में दिख रहा था, वहां कोरोना महामारी बढ़ने ही नहीं पाई।
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