संवाददाता
यूनिक समय, मथुरा। कोरोना संक्रमण काल में हर कोई परेशान है। हर व्यक्ति की अलग-अलग परेशानी है। सबसे अधिक चिंतित है तो मध्यम वर्ग। उसकी इन्कम पर सबसे अधिक असर पड़ रहा है। वह बच्चों की पढ़ाई के लिए स्कूलों की फीस अदा करे या फिर घर चलाने पर अपनी इनकम खर्च करे अथवा बीमारी को ठीक कराने के लिए डाक्टर्स को मोटी रकम की अदायगी करे।
बाजार में जाएं तो महंगाई डायन का दबदबा देखने को मिलता है। लग रहा है कि कोरोना काल में कालाबाजारी करने वालों की मौज आ गई है। इन लोगों पर न तो प्रशासन की पकड़ है और ना ही सरकार की। खाद्यान्न वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे हैं। सरसों की नई फसल आने के बाद भी बाजार में सरसों का तेल करीब 170 रुपये किलो बिक रहा है। पिछले छह-सात महीने में रेट ठीक दो गुने हो गए। कीमत बढ़ने की कोई वजह नहीं बता रहा है। इसी तरह रिफाइंड ऑयल के दाम आसमान छूते जा रहे हैं।
अच्छी क्वालिटी का रिफाइंड ऑयल बाजार से गायब हो गया है। कई और कंपनियों के रिफाइंड ऑयल बाजार में आ गए हैं। तेल और रिफाइंड ऑयल से ही रसोई में दाल और सब्जी में छौंक लगता है। अब छौंक लगाना भी महंगा हो गया है। बाजार में आटे की कई क्वालिटी आ गई है। तीस रुपये किलो आटा बिक रहा है। डाक्टर सलाह दे रहे हैं कि कोरोना संक्रमण से बचने के लिए नीबू और गर्म पानी का सेवन करें तो नीबू 200 रुपये किलो बिक रहा है। इसी क्रम में फलों पर भी महंगाई डायन की निगाह लगी हुई है। गृहणी राजलक्ष्मी का कहना है कि बाजार में बढ़ती महंगाई ने रसोई के हाल-चाल का बिगाड़ दिया है। समझ नहीं आता कि क्या खाएं-क्या नहीं खाएंं। बसंती गुप्ता कहती है कि लोगों की इनकम कम होती जा रही है और महंगाई के कारण खर्च बढ़ रहे हैं। परिवार के बीच खर्च का संतुलन बैठाना मुश्किल हो रहा है।
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