नई दिल्ली: चीन और पाकिस्तान से घटते-बढ़ते तनावों के बीच भारतीय वायुसेना को जल्द ही 100 से अधिक लड़ाकू विमान की ताकत मिल सकती है. केंद्र की मोदी सरकार ने वायुसेना के लिए 114 लड़ाकू विमान खरीदने का फैसला किया है. इसके लिए रक्षा मंत्रालय ने टेंडर प्रक्रिया शुरु कर दी है|
इनमें से 15 प्रतिशत फाइटर जेट्स (लड़ाकू विमान) विदेशी कंपनियों से सीधे खरीदे जाएंगे और बाकी 85 प्रतिशत ‘मेक इन इंडिया’ के तहत देश में ही तैयार किए जाएंगे. इसके लिए स्ट्रेटजिक पार्टनरशिप के तहत कोई भी भारतीय कंपनी किसी विदेशी कंपनी से करार कर इस टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा ले सकती है. इनमें से 25 प्रतिशत टू-इन सीटर जेट्स होगें (यानि ट्रेनिंग के लिए) और बाकी 75 प्रतिशत सिंगल-सीटर हैं|
ध्यान रहे की वायुसेना स्क्वाड्रन की कमी से जूझ रही है. एक स्क्वाड्रन में 16 से 18 विमान होते हैं. सेना के पास 42 स्क्वाड्रन रखने की स्वीकृति है लेकिन इस समय कुल 31 स्क्वाड्रन ही सक्रिय रूप में तैनात हैं. पिछले दिनों रक्षा संबंधी स्थायी समिति ने विमान की कमी पर चिंता जताई थी|
केंद्र की मोदी सरकार ने सितंबर 2016 में फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने का फैसला किया था. यह करीब 59,000 करोड़ का सौदा है. हालांकि इसमें देरी हो रही है. वहीं विपक्षी दलों खासकर कांग्रेस ने इस डील में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं|
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