विश्व संग्रहालय दिवस पर राजकीय संग्रहालय की पहल, वैष्णव कलाकृतियों की ऑनलाइन प्रदर्शनी कल

पवन गौतम
यूनिक समय, मथुरा। विश्व संग्रहालय दिवस पर राजकीय संग्रहालय ने 18 मई को संग्रहालय में सरंक्षित प्रमुख वैष्णव कलाकृतियों को ऑनलाइन प्रदर्शनी के माध्यम से दर्शकों तक पहुंचाने का निर्णय लिया है। मकसद है कि दर्शकों को पुरातात्विक, ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक धरोहरों से ज्ञानार्जन कराना। बताया गया कि कोविड-19 महामारी के कारण दर्शकों संग्रहालय तक पहुंच नहीं पा रहे हैं। इसलिए ऑनलाइन प्रदर्शनी होगी।

संग्रहालय के उप निदेशक डॉ. यशवन्त सिंह राठौर ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र ने सन 1983 ई. में 18 मई के दिन विश्व संग्रहालय दिवस के रूप में मनाये जाने का निर्णय लिया गया था। उसी समय से 18 मई को सम्पूर्ण विश्व के संग्रहालयों में संग्रहालय दिवस के अवसर पर विविध आयोजन किये जाते हंै। इसी श्रृंखला में राजकीय संग्रहालय द्वारा कोविड-19 संक्रमण को द्वष्टिगत रखते हुए एक ऑनलाइन प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। उन्होंने बताया कि मथुरा संग्रहालय की स्थापना सन 1874 ई. में हुई थी।
डेम्पियर नगरं स्थित संग्रहालय भवन में राजकीय संग्रहालय 25 जनवरी 1933 से विस्त्त रूप में संचालित है। भारतीय संस्कृति के उत्कृष्ट स्वरूप को प्रदर्शित करती संग्रहालय की कलाकृतियाँ विश्व पटल पर उल्लेखनीय स्थान रखती हैं।

विश्व संग्रहालय दिवस पर संग्रहालय की प्रस्तुत ऑनलाइन प्रदर्शनी में संग्रहालय में संरक्षित कुछ प्रमुख वैष्णव कलाकृतियों को विभिन्न कलारूपों में ऑनलाइन प्रदर्शनी के माध्यम से प्रदर्शित किया जाएगा। डा. राठौर ने बताया कि कलाकृतियां कुषाण काल से लेकर मध्यकाल तक के मूति शिल्प में विष्णु के विभिन्न रूपों में ऐतिहासिक अंकन को अभिव्यक्त करती हंै।

प्रमुख कलाकृतियों में वासुदेव शिशु कृष्ण को यमुना पार कराते हुए, चतुर्भुजी संकर्षण विष्णु, त्रिविक्रम विष्णु, विश्वरूप विष्णु, गोवर्धनधारी कृष्ण, ध्यान मुद्रा में चतुर्भुज विष्णु, नृवराह विष्णु, बलराम, ध्यान मुद्रा में विष्णु, वामन अवतार विष्णु, दशावतारों से युक्त विष्णु, द्विविष्णु, बलराम, बैकुण्ठ विष्णु, कमल पर खड़े हुए विष्णु, बलराम चशक पात्र लिए हुए, गोवर्धनधारी श्री कृष्ण उल्लेखनीय हैं।
यह प्रदर्शनी संग्रहालय के ऑनलाइन प्लेटफार्म फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर, फेसबुक पेज पर भी उपलब्ध रहेगी, जहांं से जन-सामान्य इसका अवलोकन कर सकेंगे।

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