नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में भारत की अग्रणी भूमिका आज किसी पहचान की मोहताज बनकर नहीं रह गई है। यूएन द्वारा संचालित इनशांति अभियानों में भारत सबसे बड़ा भागीदार है। इस भागीदारी और भारत की भूमिका से हर भारतीय उस वक्त और गौरवांवित महसूस करता है जब इसमें किसी भारतीय महिला अधिकारी को देखता है। संयुक्त राष्ट्र भी इन पर गर्व महसूस करता है। यही वजह है कि समय समय पर वो भारत के इस योगदान का जिक्र अपनी खबरों में जरूर करता है। यूएन के ऐसे ही एक शांति अभियान की सदस्य भारतीय पुलिस सेवा की अधिकारी रागिनी कुमारी भी हैं।
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संयुक्त राष्ट्र की तरफ से जारी एक शॉर्ट वीडियो में रागिनी ने बताया है कि इस तरह के शांति अभियान का सदस्य बनना उनके लिए एक सपने के सच होने जैसा है। रागिनी 6 अप्रैल 2019 को संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियान का हिस्सा बनी थीं। इस मिशन में वो अकेली नहीं हैं बल्कि उनके पति भी इसी मिशन का हिस्सा हैं। उन्होंने ही यूएन मिशन के लिए रागिनी को प्रेरित भी किया था।
रागिनी दक्षिणी सूडान में तैनात हैं। ये देश काफी समय से हिंसा की चपेट में है। इसका सबसे ज्यादा खामियाजा यहां की महिलाओं और बच्चों को उठाना पड़ रहा है। हजारों की तादाद में यहां पर लोग अपने ही देश में शरणार्थी बनकर रह गए हैं और यूएन की मदद पर जीवन गुजार रहे हैं। ऐसे में एक महिला अधिकारी के तौर पर रागिनी यूएन के शिविरों में रह रही महिलाओं के लिए भगवान से कम नहीं हैं। रागिनी बताती हैं कि यहां पर रह रही महिलाओं को ऐसी कई तरह की परेशानियां होती हैं जो वो किसी पुरुष अधिकारी से नहीं बता सकती हैं। ऐसे में वो उनकी मौजूदगी इन महिलाओं को राहत देती है।
आपको बता दें कि दक्षिणी सूडान दुनिया के कुछ बेहद गरीब देशों में गिना जाता है। इसके बाद यहां पर वर्षों से जारी हिंसा ने इस देश की आर्थिक कमर को बुरी तरह से तोड़कर रख दिया है। रागिनी के मुताबिक जब वो इन लोगों की मदद और इनकी परेशानियों को जानने के लिए इनके बीच में होती हैं तो उन्हें बेहद सुकून मिलता है। उन्हें अच्छा लगता है कि वो इन लोगों के लिए कुछ कर पा रही हैं। इन लोगों की परेशानियों को दूर करने के लिए वो निरंतर काम करती हैं। इनकी परेशानियों को वो आगे बढ़ाने और इनका निदान करने में मदद करती हैं। यहां के लोग खासतौर पर महिलाएं और बच्चे रागिनी को बहुत प्यार करते हैं।
रागिनी मानती हैं कि यहां फैली हिंसा ने बड़े पैमाने पर महिलाओं और बच्चों को मुश्किलों में डाला है। महिला अधिकारी के होने का फायदा ये है कि महिलाएं अपनी बात सहजता से कर पाती हैं। उन्होंने यूएन के वीडियो में कहा कि उन्हें जो फीडबैक मिलता है उससे उन्हें काफी सुकून मिलता है। वो कहती हैं कि उन्हें यहां पर आने के बाद अभूतपूर्व अनुभव हुआ है। यहां पर आकर वो उन लोगों की मदद कर पाई हैं जो इसके सही मायने में हकदार हैं। यहां पर काम करने वाला हर व्यक्ति इन लोगों के लिए आशा का स्रोत है। रागिनी ने वीडियो में बताया कि यूएन मिशन की नीली टोपी पहनने के बाद उन्हें एक नई ताकत और संतुष्टि मिलती है। उन्होंने यूएन मिशन के लिए दूसरों को भी प्रेरित किया है। उनका कहना है कि आप भी ये कर सकते हैं और आपको ये जरूर करना चाहिए।
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आपको बता दें कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1325 की 20वीं वर्षगांठ के मौके पर यूएन ने एक अपनी एक वीडियो श्रृंख्ला शुरू की है। इसमें यूएन उन महिलाओं को दिखाएगा जो शांति अभियानों में बढ़चढ़कर हिस्सा ले रही हैं। इसकी पहली कड़ी में दक्षिण सूडान में तैनात, UNMISS की मूल्यांकन टीम लीडर, रागिनी कुमारी को चुना है। यूएन के इस अभियान को ‘शान्ति ही मेरा मिशन है’ का नाम दिया गया है। 31 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव 1325 पारित किया गया था।
यूएन ने इसको देखते हुए पूरे एक माह के लिए अपनी ये श्रृंख्ला जारी रखेगा। इस श्रृंख्ला में विभिन्न देशों की नौ अन्य महिलाओं को शामिल किया गया है। इस अभियान के कुछ खास मकसद हैं। इसमें यूएन अभियानों में महिलाओं की सार्थक भागीदारी, उनके कार्य को बढ़ावा देना, शांति स्थापना और विशेष राजनैतिक मिशनों में उनके योगदान के बारे में जागरूकता फैलाना है। इसके अलावा इसका मकसद महिलाओं को यूएन से जुड़ने के लिए प्रेरित करना भी है।
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