प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अय़ोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए ट्र्स्ट का एलान कर दिया है वहीं मप्र की कमलनाथ सरकार मंदिरों की जमीनों को बिल्डरों को देने की तैयारी कर रही थी,हालांकि प्रदेश भाजपा के विरोध के चलते फिलहाल राज्य सरकार ने मंदिरों की जमीन बिल्डरों को देने का प्रस्ताव फिलहाल टाल दिया है। बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इसको नहीं लाया गया।
भाजपा ने प्रदेश की कमलनाथ सरकार के इस प्रस्ताव को हिंदू विरोध करार देते हुए कहा कि कांग्रेस केवल एक धर्म को निशाना बना रही है और हिंदुओं को दबाकर तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है। इस तरह का सरकार का निर्णय बड़े बिल्डर्स को संरक्षण देने का है। भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष विजेश लूनावत ने ट्वीट कर सरकार पर तंज भी कसा था। उन्होंने कहा कि हनुमान भक्त कमलनाथ जी का फैसला मंदिरों की जमीन आक्शन कर अब बिल्डरों की दिया जाएगा। मिस्टर 15 प्रतिशत की सरकार की भगवान जी से 50 फीसदी पार्टनरशिप की पेशकश। वक्त है बदलाव का,एमपी मांगे जवाब। वहीं कांग्रेस का कहना है कि सरकार मंदिरों की बेशकीमती जमीनों से अवैध कब्जे हटाना चाहती है।
मंदिरों के पास है हजारों एकड़ जमीन…..
जानकारी के मुताबिक राज्य के धार्मिक न्यास और धर्मस्व विभाग के मंत्री पीसी शर्मा ने विगत दिवस संवाददाताओं से बातचीत में कहा था कि राज्य के कई मंदिरों के पास हजारों एकड़ जमीन हैं जिसका उपयोग नहीं हो रहा है। इन जमीनों की नीलामी किए जाने का विचार है। इससे आने वाली राशि से मंदिरों की जीर्णोद्धार किया जाएगा।
सरकार जमीन देगी,बिल्डर अपने खर्च पर बनवाएगा बिल्डिंग….
मध्यप्रदेश सरकार के प्रस्ताव के अनुसार शुरुआत में भोपाल,इंदौर,जबलपुर और ग्वालियर के साथ दूसरे बड़े शयप्रेहरों के मंदिरों की जमीनों को बेचा जाएगा। जिसको भी यह जमीन दी जाएगी वह उस पर निर्माण कार्य कर बेच सकेगा और इससे मिलने वाला पैसा तीन हिस्सों में मंदिर,जिला प्रशासन और राज्य सरकार में बांटा जाएगा। सरकार केवल जमीन देगी और बिल्डर अपने खर्च पर उस जमनी पर फ्लैट,डुप्लैक्स,शापिंग काम्पलेक्स आदि का निर्माण कर सकता है।
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