मिशन पानी: यहां ऐसे सहेजते हैं पानी, मानसून की बारिश से सालभर बुझती है प्यास

जयपुर। राजस्थान में पानी की किल्लत और पेयजल संकट की कहानी से कोई अनजान नहीं है. यहां के लोगों ने अकाल और सूखे का लंबा दौर देखा है और यही कारण है कि पानी का मोल क्या होता है? मरुधरा के लोगों से अधिक भला कौन जान सकता है. तभी तो यहां मानसून की बारिश के पानी को ऐसे सहेजा जाता है कि साल भर उसी से प्यास बुझाई जा सके. यहां घरों में बारिश के पानी को इकट्‌ठा करने के लिए टांके (हौद) बनाए जाते हैं, जिसमें बारिश का पानी इकट्‌ठा होता है. कई इलाकों में तो यही टांके पीने योग्य पानी का एकमात्र स्रोत होते हैं और परिवार की सालभर प्यास बुझाते हैं.

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गांव के हर घर में बना है टांका, इसी में सहेजा जाता है बारिश का पानी
यहां हम बात कर रहे हैं झुंझुनूं जिले के अलसीसर क्षेत्र की. इस पूरे इलाके में खारा पानी होने के कारण वह पीने लायक नहीं है. इसलिए पूरे अलसीसर क्षेत्र में पीने के पानी के लिए बरसात का पानी की उपयोग किया जाता है. बरसात का पानी बचाने के लिए पूरे क्षेत्र में यह कहें कि गांव के हर घर में एक-एक टांका बना हुआ है. इन टांकों में बरसात का पानी इकट्ठा किया जाता है और उसको पूरे साल पीने के पानी के रूप में उपयोग किया जाता है.

जरूरत ने सिखाया, पीढ़ियों ने अपनाया
यह भी कहा जा सकता है कि क्षेत्र में पीने के लिए पानी नहीं होने के कारण लोग पूरी तरह बरसात पर ही निर्भर हैं. इसलिए हर घर में बरसों से पानी बचाना और बारिश का पानी सहेजना परिपाटी बन गया है. लोग अपने दादा-परदादा की बातों को याद कर बताते हैं कि किस तरह से पीढ़ियों से उनका पानी बचाने और वर्षा जल सहेजना जारी है.

इलाके में 100 साल से अधिक समय से ही लोग बरसात का पानी ही इकट्ठा करते आए हैं. और उसे पीने के लिए उपयोग किया जाता हैं. हमने पूरी जिंदगी बरसात के पानी को ही पिया है.
— यासीन खान चायल, पूर्व सरपंच, गांव गोविंदपुरा

छत से सीधा टांके तक पहुंचता है पानी
गांव के हर घर में टांका बना हुआ है. इस टांके को घर की छत से जोड़ा जाता है. इसमें बरसात का पानी एकत्रित किया जाता है. करीब 75 साल के पूर्व सरपंच यासीन खान बताते है कि जब से उन्होंने होश संभाला है तब से वे बरसात का ही पानी पी रहे हैं. इससे पहले भी उनके घर में एक टांका बना हुआ था. उस टांके से ही पीने का पानी उपयोग में लिया जाता है. उन्होंने बताया गोविंदपुरा गांव 500 घरों की बस्ती है. हर घर में पीने के पानी के लिए टांका बना हुआ है. वह बताते हैं गोविंदपुरा ही नहीं अलसीसर मलसीसर क्षेत्र के प्रत्येक घर में पीने के पानी के लिए बरसात के पानी पर ही निर्भर है.

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