राज्य कैबिनेट की बैठक में इस बारे में चर्चा की गई कि जयपुर से जो विधायक भोपाल रविवार को पहुंचे हैं, उनका कोरोना वायरस के लिए टेस्ट किया जाएगा। इसके साथ ही, हरियाणा और बेंगलुरु से जिन विधायकों को आना है उनका टेस्ट भी किया जाएगा। इसके पीछे वजह बताई जा रही है कि बेंगलुरु में कोरोना के 19 मामले सामने आ चुके हैं और एक की 1 मौत हो गई, जिसको देखते हुए सरकार ने यह फैसला लिया है। बीजेपी ने मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपने पाले में लाकर भले ही कांग्रेस को जोर का झटका दिया हो, लेकिन कमलनाथ को कमजोर मानना उसको भारी पड़ सकता है। मध्य प्रदेश में सरकार बचाने को लेकर कमलनाथ ने एक ऐसा दाव चला है, जिसके बाद बीजेपी सरकार बैकफुट पर आ सकती है। खबर के अनुसार, सोमवार को होने वाले फ्लोर टेस्ट को टालने के लिए कमलनाथ ने कोरोना का नया पैतरा चलने का फैसला किया है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कमलनाथ सरकार नहीं चाहती है कि किसी भी कीमत पर सोमवार को फ्लोर टेस्ट हो, क्योंकि अभी संख्या उनके पक्ष में नहीं है। ऐसे में सरकार की तरफ से कहा जा रहा है कि जो भी विधायक प्रदेश से बाहर से आ रहे हैं, उनका कोरोना वायरल का टेस्ट कराया जाएगा। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री तरुण भनोट ने पहले ही संकेत दे दिए थे कि सत्र को टाला भी जा सकता है। जिसके बाद यह कहा जा सकता है कि कमलनाथ सरकार कोरोना के बहाने फ्लोर टेस्ट टालने के बाद नाराज विधायकों को मनाने में जुट जाएगी और हो सकता है कि इससे बीजेपी के ऑपरेशन लोटस को झटका लग जाए।
अभी ये है समीकरण…
विधानसभा की वर्तमान स्थिति पर गौर करें तो 230 सीटों में से दो स्थान रिक्त हैं। जिसमें से कांग्रेस के छह विधायकों का इस्तीफे मंजूर हो गया है। विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 108 सीट जीतीं थी, जिसमें से उसके 6 विधायकों की सदस्यता रद्द होने के बाद उसके विधायको की संख्या 102 बची। हालांकि अभी 4 निर्दलीय, 2 बसपा और एक सपा का विधायक भी है। लेकिन 6 विधायकों के इस्तीफे के बाद कुल 222 विधायकों के सदन में बहुमत के लिए 112 विधायकों की संख्या होना जरूरी है, जोकि अभी तक कांग्रेस के पास किसी भी तरह से मिलती नहीं दिख रही है।
वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के पास अपने 107 विधायक हैं और उसको 112 विधायकों का समर्थन हासिल करने के लिए कुल 5 विधायकों का साथ चाहिए। ऐसे में यह कहा जा रहा है कि बीजेपी इसी जोड़-तोड़ में लगी हुई है कि कांग्रेस के अभी कुछ और विधायकों की सदस्यता रद्द हो तो वह अपने ही विधायकों के दम पर आसानी से सरकार बना ले।
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