यूनिक समय, नई दिल्ली। भारत के प्रत्येक नागरिक तक कोरोना वायरस का टीका पहुंचाने के पीएम नरेंद्र मोदी के आदेश पर डिजिटल प्रक्रिया की तैयरियां हो गई हैं। दरअसल पीएम मोदी ने कहा था कि जैसे ही कोरोना की वैक्सीन आती है, उसे प्रत्येक भारतीय तक पहुंचाने के लिए चुनाव आयोजन की तरह ही एक सिस्टम बनाने पर काम किया जाए। नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने कहा कि इसके लिए हमने अभी से ऐसी प्रणाली पर काम करना शुरू कर दिया है, जिससे आसानी से पता चल जाएगा कि किसे वैक्सीन मिली है और किसे नहीं और कितने लोगों तक वैक्सीन पहुंच गई है। वीके पॉल ने कहा कि भारत की आबादी के हिसाब से इस बात का पूरा ध्यान रखा जाएगा, कि वैक्सीन हर किसी तक पहुंचे। पहले चरण में उच्च जोखिम वर्ग को वैक्सीन दी जाएगी। इसमें स्वास्थ्यकर्मी, पुलिसकर्मी और अन्य फ्रंटलाइन वर्कर्स शामिल होंगे। वीके पॉल ने बताया, हम वैक्सीन वितरण की प्रक्रिया में एसएमएस, डिजिटल सर्टिफिकेट जैसी सुविधाओं को शामिल करने की योजना बना रहे हैं। पॉल ने कहा, उम्मीद है कि 2021 की शुरुआत में भारत को कोरोना वैक्सीन मिल जाएगी। नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने बताया कि जिनको कोरोना की वैक्सीन दी जानी होगी, उन्हें सबसे पहले एसएमएस मिलेगा, जिसमें वैक्सीन लेने की तारीख, जगह और समय के बारे में जानकारी दी जाएगी। एसएमएस में यह भी जानकारी दी जाएगी कि किसे कितनी डोज दी जाएगी। वहीं व्यक्ति को वैक्सीन देने के बाद यह देखा जाएगा कि उस पर दवा कैसा प्रभाव पड़ा है। अगर व्यक्ति पर दवा का कोई गलत असर नहीं पड़ता तो उसे क्यूआर आधारित डिजिटल सर्टिफिकेट दिया जाएगा। इस डिजिटल सर्टिफिकेट का रिकॉर्ड आयोग के पास भी सुरक्षित रहेगा। वीके पॉल ने बताया कि जिस तरह चुनावों में मतदान के लिए स्कूलों को बूथ के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। ठीक वैसे ही कोरोना की वैक्सीन के लिए स्कूलों में बूथ बनाए जाएंगे। वैक्सीन पाने वाले लोगों को अपने इलाके के स्कूलों में बने बूथों पर आना होगा और वैक्सीन लेनी होगी। पॉल के मुताबिक करीब 30 करोड़ लोगों के लिए वैक्सीन आएगी, जिसमें 7 मिलियन डॉक्टर और पैरामेडिक्स शामिल होंगे, जिसमें 20 मिलियन अन्य फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ता भी शामिल होंगे।
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