पुलिस के मुताबिक साजिशकर्ता संजी के साथ विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजुरिया और सुरेंद्र वर्मा, उसके दोस्त परवेश कुमार उर्फ मन्नू, भतीजा राम किशोर और उसका बेटा विशाल जंगोत्रा उर्फ शम्मा भी कथित रूप से इस घिनौने कृत्य में शामिल रहे।
- अल्पसंख्यक समुदाय के क्षेत्र में बसने के खिलाफ था संजी
- दरिंदगी की हद तक गए आरोपी
एक नजर में घटनाक्रम-
4 जनवरी: साजिशकर्ता संजी राम ने बकरवाल समुदाय को क्षेत्र से हटाने के लिए खजुरिया और प्रवेश कुमार की योजना में शामिल होने के लिए अपने नाबालिग भतीजे को तैयार किया।
7 जनवरी : दीपक खजुरिया और उसका दोस्त विक्रम ने नशे की गोलियां खरीदीं। संजी राम ने अपने भतीजे को कहा कि वह बच्ची का अपहरण कर ले।
8 जनवरी :नाबालिग ने अपने एक दोस्त को इस बारे में जानकारी दी।
9 जनवरी :नाबालिग ने भी कुछ नशीली दवाएं खरीदीं।
10 जनवरी: साजिश के तहत नाबालिग ने मासूम बच्ची को घोड़ा ढूंढने में मदद की बात कही। वह उसे जंगल की तरफ ले गया। बाद में बच्ची भागने की कोशिश की लेकिन आरोपियों ने उसे धर दबोचा। इसके बाद उसे नशीली दवाएं देकर उसे एक देवी स्थान के ले गए, जहां रेप किया।
11 जनवरी: नाबालिग ने अपने दोस्त विशाल को कहा कि अगर वह मजे लूटना जाता है तो आ जाए। परिजनों ने बच्ची की तलाश शुरू की। देवीस्थान भी गए लेकिन वहां उन्हें संजी राम ने झांसा दे दिया। दोपहर में दीपक खजुरिया और नाबालिग ने मासूम को फिर नशीली दवाएं दीं।
12 जवनरी: मासूम को फिर नशीली दवाएं देकर रेप। पुलिस की जांच शुरू। दीपक खजुरिया खुद जांच टीम में शामिल था जो संजी राम के घर पहुंचा। राम ने उसे रिश्वत की पेशकश की। हेड कॉन्स्टेबल तिलक राज ने कहा कि वह सब-इंस्पेक्टर आनंद दत्ता को रिश्वत दे। तिलक राज ने 1.5 लाख रुपये रिश्वत दिए।
13 जनवरी: विशाल, संजी राम और नाबालिग ने देवी स्थान पर पूजा-अर्चना की। इसके बाद लड़की के साथ रेप किया और उसे फिर नशीली दवाएं दीं। इसके बाद बच्ची को मारने के लिए वे एक पुलिया पर ले गए। यहां पुलिस अधिकारी दीपक खजुरिया ने कहा कि वह कुछ देर और रुक जाएं क्योंकि वह पहले रेप करना चाहता है। इसके बाद उसका गला घोंटकर मार दिा गया।
15 जनवरी :आरोपियों ने मासूम के शरीर को जंगल में फेंक दिया।
17 जनवरी :जंगल से मासूम बच्ची का शव बरामद।
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