अब फिर मिलेगी 100 स्टेशनों पर सोंधी खुशबू वाली कुल्हड़ वाली चाय, जानिए क्या है प्लान

नई दिल्ली। मिट्टी की सोंधी खुशबू वाली कुल्हड़ चाय एक बार फिर से रेलवे स्टेशनों पर मिलने वाली है. भारतीय रेल और एमएसएमई मंत्रालय देशभर के 100 से ज्यादा रेलवे स्टेशनों पर कुल्हड़ वाली चाय का स्वाद दिलाने की योजना बना रहा है. इसके शुरू होने के बाद एक बार फिर से आप कुल्हड़ में चाय का आनंद ले सकेंगे.

आज से 15 साल पहले तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने रेलवे स्टेशनों पर ‘कुल्हड़’ में चाय बेचने का ऐलान किया था. लालू का तर्क था कि इससे स्टेशनों पर गंदगी नहीं फैलेगी और कुल्हड़ बनाने वालों को बड़े पैमाने पर रोजगार मिलेगा. लेकिन कुल्हड़ का वज़न ज़्यादा होने की वजह से ट्रेनों में कुल्हड़ की योजना धीरे-धीरे असफल हो गई. वहीं कम कीमत और हल्के वज़न वाले प्लास्टिक और पेपर कपों ने कुल्हड़ को स्टेशनों से भी गायब कर दिया.

बड़ी संख्या में कुम्हारों को मिलेगा काम
अब एक बार फिर देशभर के कुम्हारों को बेहतर रोजगार के साधन मुहैया कराने और प्लास्टिक के उपयोग में कमी लाने के लिए मध्यम लघु और सूक्ष्म उद्योग मंत्री नितिन गडकरी ने रेल मंत्री पीयूष गोयल को चिट्ठी लिख कर देशभर के 100 स्टेशनों पर कुल्हड़ में चाय बेचने की अपील की है.

इन दो स्टेशनों पर मिल रही कुल्हड़ वाली चाय
इससे पहले बीती जनवरी से उत्तर प्रदेश के वाराणसी और रायबरेली स्टेशनों पर मिट्टी से बने ‘कुल्हड़ों’, ग्लास और प्लेट का इस्तेमाल किया जा रहा है. यह काफी सफल रहा है और लोगों ने इसे खूब पसंद किया है. MSME मंत्रालय के अंदर काम करने वाले विभाग खादी ग्रामोद्योग ने इन स्टेशनों के आस पास के कुम्हारों को बिजली से चलने वाले चाक भी दिए हैं इससे उनका प्रोडक्शन भी बढ़ा है. बिजली के चाक की मदद से दिनभर में 100 से लेकर करीब 600 कुल्हड़ बना लेते हैं. इससे स्टेशनों पर कुल्हड़ की मांग को भी आसानी से पूरा किया जा सकता है.

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प्लास्टिक के प्रदूषण पर लगेगी रोक
रेलवे स्टेशन से लेकर बस अड्डों की दुकानों पर चाय, छाछ और लस्सी की खूब बिक्री होती है. इन्हें मिट्टी के कुल्हड़ और गिलास में बेचने से देशभर के कुम्हारों की दशा में सुधार हो सकता है और प्लास्टिक के इस्तेमाल में भारी कमी आ सकती है. इससे नया रोजगार भी पैदा होगा और लोग अपनी पुरानी परंपरा को जीवित रखेंगे.

कुम्हारों को दिए गए इलेक्ट्रिक चाक
इसके लिए MSME मंत्रालय ने कुम्हार सशक्तिकरण योजना के तहत बिजली से चलने वाले चाक भी बांटे हैं. प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में करीब 1000 ऐसे चाक बांटे गए हैं. केवीआईसी इस साल बिजली से चलने वाले करीब 6,000 चाक समूचे देश में वितरित करेगी. जिससे कुम्हार बड़े स्केल पर आसानी से मिट्टी के बर्तन बना सकेंगे. इस योजना से रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों के आसपास प्लास्टिक से पैदा होने वाले प्रदूषण और कूड़े पर भी रोक लगेगी. अकेले भारतीय रेल में हर रोज़ करीब 2.5 करोड़ मुसाफ़िर सफर करते हैं. ऐसे में भारतीय रेल में कुल्हड़ वाली चाय बेचने से चाय का सौंधापन भी वापस आएगा, स्थायी रोज़गार पैदा होगा और प्रदूषण फैलाने वाले प्लास्टिक के इस्तेमाल में भारी कटौती होगी.

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