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यूनिक समय, मथुरा। श्रीकृष्ण जन्मभूमि के प्रांगण में लठामार होली के दर्शन कर श्रद्धालु भाव विभोर होकर झूम उठे। ब्रज के कलाकारों ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां देकर प्रिया-प्रियतम की प्रिय होली लीला की साक्षात अनुभूति कराई। ब्रज विभूति काष्र्णि गुरुशरणानन्द महाराज ने रस भरी सरकार एवं प्रियाजू को पुष्पार्चन एवं आरती से कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
होली के गायन, वादन, नृत्य, मयूर नृत्य के उपरान्त श्रीप्रिया-प्रियतम के स्वरूप एवं उनके सखा-सखियों ने दिव्य पुष्प-होली के दर्शन कराये। मयूर वेश में ठाकुर-ठकुराइन के स्वरूप आदि भिन्न-भिन्न रूपों के सजीव दर्शन कर श्रद्धालु अभिभूत हुए। सतरंगी पुष्प वर्षा के मध्य पुष्प-होली के दर्शन अत्यन्त मनोहारी और सजीव थी।
विशाल बंब,ढप,ढोल, नगाड़े होली गायन के मध्य जहां मंच पर चरकुला नृत्य किया, वहीं केशव वाटिका के प्रांगण में रावल ग्राम से आए हुरियारे-हुरियारिनों के साथ ब्रज के विभिन्न अंचलों से आए गोपी-गोपिकाएंं लठामार होली के अलौकिक भाव को प्रकट कर रहे थे। पुष्प और गुलाल की वर्षा से संपूर्ण केशव वाटिका इन्द्रधनुषीय स्वरूप में प्रकट हो रहा था।
संस्थान के सचिव कपिल शर्मा एवं सदस्य गोपेश्वरनाथ चतुर्वेदी ने संत काष्र्णि गुरुशरणानन्द महाराज का स्वागत किया। संयुक्त मुख्य अधिशासी राजीव श्रीवास्तव, विजय बहादुर सिंह, अनुराग पाठक, ब्रजेन्द्र कौशिक, जय श्रीकृष्ण लठामार होली समिति के पदाधिकारी किशोर भरतिया, नन्दकिशोर अग्रवाल तथा अनिल भाई का विशेष सहयोग रहा।
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